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70... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन द्वितीय विधि ___ नाट्य शास्त्र के अनुसार जिस मुद्रा में तर्जनी, मध्यमा एवं अंगूठा तीनों ही त्रेताग्नि की तरह परस्पर मिले हुए और शेष दोनों अंगुलियाँ ऊपर की ओर विप्रकीर्ण हो वह हंसास्य मुद्रा है।51
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हंसास्य मुद्रा-2 लाभ
चक्र- सहस्रार एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- आकाश तत्त्व ग्रन्थि- पिनियल एवं पीयूष ग्रन्थि केन्द्र- ज्योति केन्द्र एवं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंगमस्तिष्क, आंख एवं स्नायु तंत्र। 20. हंसपक्ष मुद्रा (प्रथम)
यहाँ नृत्य के एक प्रकार को हंसपक्ष कहा गया है।
यह मुद्रा नाटकों आदि में एक हाथ से धारण की जाती है। दर्शाये चित्र के अनुसार यह मुद्रा रोकने और इकट्ठा करने का संकेत करती है।