________________
64... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन 16. अलपद्म मुद्रा
इस मुद्रा को सोलपद्म मुद्रा भी कहते हैं। पूर्णत: खिला हुआ, विकसित हुआ कमल अलपद्म/सोलपद्म कहलाता है।
यह मुद्रा नाटक-नृत्य आदि में एक हाथ से की जाती है। विद्वानों ने इसे उत्कंठ, ललक, घुमाव, ताज आदि की सूचक कहा है। यह मुद्रा स्वयं के गुणों के अनुसार सद्भाग्य की प्रतीक भी हो सकती है। प्रथम विधि ___ दायीं हथेली को घुमाते हुए ऊपर की ओर ले जायें, अंगुलियों और अंगूठे को थोड़ा सा कड़क, खींचा हुआ और दूर-दूर रखें, कनिष्ठिका अंगुली को हथेली से 90° कोण की दूरी पर रखें तथा अनामिका अंगुली को हथेली से 45° कोण पर रखने से अलपद्म मद्रा बनती है।44
द्वितीय विधि
अलपद्म मुद्रा-1 नाट्य शास्त्रकार के अनुसार जिस मुद्रा में हाथ की सभी अंगुलियों हथेली पर वृत्ताकार रूप से मुड़ी हुई और पार्श्व में आकर बिखरी हुई हो, वह