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भरतमुनि रचित नाट्य शास्त्र की मुद्राओं का स्वरूप... ...63
एवं विशुद्धि केन्द्र विशेष प्रभावित अंग - यकृत, तिल्ली, आँतें, नाड़ी संस्थान, पाचन संस्थान, स्वर तंत्र, नाक, कान, गला, मुँह ।
द्वितीय विधि
नाट्य शास्त्र के अनुसार जिस मुद्रा में मध्यमा, तर्जनी एवं अंगूठा त्रेताग्नि की तरह अलग-अलग, अनामिका झुकी हुई और कनिष्ठिका ऊर्ध्व प्रसरित हो वह लांगुल / कांगुल मुद्रा है 1 43
लाभ
लांगुल मुद्रा-2
चक्र
मणिपुर, स्वाधिष्ठान चक्र तत्त्व- अग्नि एवं जल तत्त्व ग्रन्थि - एड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं प्रजनन केन्द्र- तैजस एवं स्वास्थ्य केन्द्र विशेष प्रभावित अंग - पाचन, नाड़ी तंत्र, यकृत, तिल्ली, आँतें, गुर्दे, मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग ।