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62... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन
दर्शाये चित्र के अनुसार यहाँ लांगुल का तात्पर्य पुरुष लिंग से होना चाहिए। यह मुद्राकृति पुरुष लिंग जैसी प्रतीत होती है।
जिस प्रकार लिंग गुप्त होता है वैसे ही यह मुद्रा गुप्त रहस्यों की सूचक है। विद्वानों के मतानुसार यह सुपारी, तीतर एवं किसी भी छोटी वस्तु का प्रतिनिधित्व करती है। यह नाट्यमुद्रा हिन्दू परम्परा में देवी-देवताओं के निमित्त भी की जाती है। प्रथम विधि
दायी हथेली को ऊपर की ओर उठायें, तत्पश्चात अनामिका को छोड़कर शेष अंगुलियों को हल्के से चषकाकार रूप में करें तथा अनामिका को झुकाकर शिथिल कर देने से लांगुल मुद्रा बनती है।42
नांगुल मुद्रा-1 लाभ ___ चक्र- मणिपुर एवं विशुद्धि चक्र तत्त्व- अग्नि एवं वायु तत्त्व अन्थिएड्रीनल, पैन्क्रियाज, थायरॉइड एवं पेराथायरॉइड ग्रन्थि केन्द्र- तैजस केन्द्र