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भरतमुनि रचित नाट्य शास्त्र की मुद्राओं का स्वरूप......57 ग्रन्थि केन्द्र- तैजस एवं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- पाचन संस्थान, यकृत, तिल्ली, नाड़ीतंत्र, आँतें, मस्तिष्क, स्नायु तंत्र। द्वितीय विधि
नाट्य शास्त्र के अनुसार भी जिस मुद्रा में सभी अंगुलियाँ ऊपर उठी हुई, . अलग-अलग फैली हुई और किंचित झुकी हुई हो वह पद्मकोश मुद्रा है।36
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पद्मकोश मुद्रा-2
लाभ
चक्र- स्वाधिष्ठान एवं विशुद्धि चक्र तत्त्व-जल एवं वायु तत्त्व ग्रन्थिप्रजनन, थायरॉइड, पेराथायरॉइड ग्रन्थि केन्द्र- स्वास्थ्य एवं विशुद्धि केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मल-मूत्र अंग, गुर्दे, प्रजनन तंत्र, नाक, कान, गला, मुँह, स्वर तंत्र।