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56... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन
अंग- निचला मस्तिष्क, स्नायु तंत्र, पाचन तंत्र, नाड़ी तंत्र, यकृत, तिल्ली, आँतें।
12. पद्मकोश मुद्रा
संपुटित कमल के आकार की मुद्रा को पद्मकोश मुद्रा कहते हैं। इस मुद्रा में हाथ के अंगुलियों की बनावट संपुटमय कमल की भाँति होती है इसलिए इसे पद्मकोश मुद्रा कहा गया है। पद्मकोश को कमल की कली भी कह सकते हैं।
यह मुद्रा चमक या प्रभा तथा खिलते हुए कमल की सूचक है। नाट्यकला में इस मुद्रा के द्वारा हर्ष की अभिव्यक्त भाव या विकसित होने के भाव दर्शाये जा सकते हैं।
यह नाट्य मुद्रा हिन्दू परम्परा में भी प्रचलित है जो कि देवताओं के द्वारा धारण की जाती है।
प्रथम विधि
हथेली को
ऊपर की ओर उठाते हुए अंगुलियों और अंगूठे को हल्के से अलग-अलग करें,
फिर हथेली की तरफ किंचित मोड़ने से पद्मकोश मुद्रा बनती
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लाभ
चक्र- मणिपुर एवं आज्ञा चक्र
तत्त्व - अग्नि एवं
तत्त्व
आकाश
ग्रन्थि - एड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं पीयूष
पद्मकोश मुद्रा - 1