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46... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन 7. मुष्टि मुद्रा ___मुष्टि का सीधा सा अर्थ है मुट्ठी अथवा घूसा। इस मुद्रा में हाथ को मुट्ठी रूप में बनाया जाता है इसलिए इसका नाम मुष्टि मुद्रा है।
इस मुद्रा का प्रयोग किसी को डराने, प्रहार का भय दिखाने अथवा शक्ति, ताकत, एकता आदि के भाव अभिव्यक्त करने के ध्येय से किया जाता है। यह नाटकीय मुद्रा योग तत्त्व मुद्रा विज्ञान की यौगिक परम्परा में भी श्रद्धालुओं द्वारा धारण की जाती है। इसे शक्ति, सामर्थ्य एवं स्थिरता की सूचक माना गया है। यह भाला आदि पकड़ने में प्रयुक्त होती है। प्रथम विधि __बायीं हथेली को शरीर के मध्यभाग की तरफ लायें, फिर अंगुलियों को मुट्ठी रूप में बांधकर, अंगूठे को अंगुलियों के प्रथम पोर पर स्थिर करने से मुष्टि मुद्रा बनती है।
यह मुद्रा कटक मुद्रा के समान है।21
मुष्टि मुद्रा-1
लाभ
चक्र- मणिपुर, मूलाधार एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- अग्नि, पृथ्वी एवं आकाश तत्त्व अन्थि- एड्रीनल, पैन्क्रियाज, प्रजनन एवं पीयूष ग्रन्थि केन्द्र