________________
भरतमुनि रचित नाट्य शास्त्र की मुद्राओं का स्वरूप......41 5. अराल मुद्रा (प्रथम) -
अराल शब्द के अनेक अर्थ हैं। यहाँ संभावित अर्थ टेढ़ापन होना चाहिए।15 इस मुद्रा में अंगूठा और तर्जनी अंगुली को बलपूर्वक टेढ़ा किया जाता है अत: इसका नाम अराल मुद्रा है।
यह नाटकीय मुद्रा नृतकों एवं कलाकारों द्वारा सम्पन्न की जाती है। यह मुद्रा विष ग्रहण को दर्शाती है और पताका मुद्रा के समान है। प्रथम विधि ____ दायीं अथवा बायीं हथेली को शरीर से कुछ दूर रखते हुए सामने की ओर अभिमुख करें, मध्यमा, अनामिका और कनिष्ठिका अंगुलियों को ऊपर की ओर सीधी रखें तथा अंगूठा और तर्जनी को हथेली की तरफ शक्ति पूर्वक मोड़ने से अराल मुद्रा बनती है।16
अराल मुद्रा-1
लाभ
चक्र- स्वाधिष्ठान एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- जल एवं आकाश तत्त्व