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________________ भरतमुनि रचित नाट्य शास्त्र की मुद्राओं का स्वरूप......39 4. अर्धचन्द्र मुद्रा अर्धचन्द्र अर्थात आधा चाँद, अष्टमी का चन्द्रमाँ। इस मुद्रा के द्वारा अर्धचन्द्र की आकृति दर्शायी जाती है इसलिए इसका नाम अर्धचन्द्र मुद्रा है। यहाँ पर अर्धचन्द्र से चन्द्रमा की घटती-बढ़ती कलाएँ भी अभिप्रेत हो सकती है। हिन्दी शब्दसागर के अनुसार यह मुद्रा किसी को बाहर निकालने के लिए गले में हाथ डालने के रूप में भी प्रयुक्त होती है।12। ___ यह मुद्रा नाटकों आदि में भाव दर्शाने के उद्देश्य से की जाती है। यह एक हाथ से प्रयुक्त मुद्रा चन्द्रमा, प्रार्थना या चित्र को समर्पित करने का भाव दर्शाती है। प्रथम विधि __दायी हथेली को सामने की ओर करते हुए अंगुलियों को ऊपर की ओर उठायें, सभी अंगुलियों को समभाग में रखें तथा अंगूठे को अंगुलियों से दूर रखने पर अर्धचन्द्र मुद्रा बनती है। यह मुद्रा छाती के स्तर पर धारण की जाती है।13 अर्धचन्द्र मुद्रा-1
SR No.006253
Book TitleNatya Mudrao Ka Manovaigyanik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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