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________________ 38... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन लाभ चक्र- स्वाधिष्ठान एवं विशुद्धि चक्र तत्त्व- जल एवं वायु तत्त्व ग्रन्थि - एड्रीनल, प्रजनन, थायरॉइड एवं पेराथायरॉइड केन्द्र- स्वास्थ्य एवं विशुद्धि केन्द्र विशेष प्रभावित अंग - मल-मूत्र अंग, गुर्दे, प्रजनन अंग, नाक, कान, गला, मुँह, स्वर तंत्र। द्वितीय विधि नाट्य शास्त्र के अनुसार जिस मुद्रा में अनामिका - मध्यमा झुकी हुई, अंगूठा तर्जनी के मूल में कुंचित और शेष अंगुलियाँ ऊर्ध्व में प्रसरित हो वह कर्तरी मुख मुद्रा है। 11 कर्तरीमुख मुद्रा - 2 लाभ चक्र - आज्ञा एवं स्वाधिष्ठान चक्र तत्त्व- आकाश एवं जल तत्त्व ग्रन्थि - पीयूष एवं प्रजनन ग्रंथि केन्द्र- दर्शन एवं स्वास्थ्य केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- निचला मस्तिष्क, स्नायु तंत्र, मल-मूत्र अंग, गुर्दे, प्रजनन अंग।
SR No.006253
Book TitleNatya Mudrao Ka Manovaigyanik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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