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भरतमुनि रचित नाट्य शास्त्र की मुद्राओं का स्वरूप... ...37
3. कर्तरीमुख मुद्रा
कर्तरी के सामान्य अर्थ हैं कैंची, कतरनी, छोटी तलवार, फलित ज्योतिष का एक योग जिसमें कन्या की मृत्यु और अपना बंधन होता है। यहाँ कर्तरी का तात्पर्य कैंची से है। तदनुसार कर्तरीमुख अर्थात कैंची का मुख ।
प्रयोग करते समय कैंची का मुख खुला रहता है तथा उसका एक भाग ऊपर और एक भाग नीचे रहता है। दर्शाये चित्र में हाथ की आकृति उसी तरह की है अतः इसे कर्तरीमुख मुद्रा कहते हैं ।
यह मुद्रा विरोध, असहमति, प्रथम विधि
मृत्यु आदि की सूचक है।
इस मुद्रा को बनाने के लिए सर्वप्रथम तर्जनी, मध्यमा और अंगूठा को ऊपर की ओर उठायें, तत्पश्चात तर्जनी और मध्यमा को किंचित अलग-अलग करें, तदनन्तर अनामिका और कनिष्ठिका को हथेली की तरफ मोड़ें तथा हथेली को बाहर की ओर अभिमुख करने से कर्तरीमुख मुद्रा बनती है। यह मुद्रा छाती के स्तर पर धारण की जाती है। 10
कर्तरीमुख मुद्रा - 1