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34... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन
प्रजनन, एड्रीनल एवं पैन्क्रियाज ग्रन्थि केन्द्र - शक्ति एवं तैजस केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मेरुदण्ड, गुर्दे, पैर, पाचन संस्थान, यकृत, तिल्ली, नाडीतंत्र एवं आँतें।
द्वितीय विधि
नाट्य शास्त्र के अनुसार जिस मुद्रा में हाथ की सभी अंगुलियाँ समान रूप से फैली हुई हो और अंगूठा (तर्जनी के मूल में ) कुंचित अर्थात टेढ़ा हो, पताका हस्त मुद्रा है।
वह
पताका मुद्रा-2
लाभ
चक्र - मूलाधार एवं मणिपुर चक्र तत्त्व - पृथ्वी एवं अग्नि तत्त्व ग्रन्थि - प्रजनन, एड्रीनल एवं पैन्क्रियाज ग्रन्थि केन्द्र - शक्ति एवं तैजस केन्द्र विशेष प्रभावित अंग - मेरुदण्ड, गुर्दे, पाँव, पाचन संस्थान, यकृत, तिल्ली, नाडी तंत्र आदि।