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________________ 28... मुद्रा योग एक अनुसंधान संस्कृति के आलोक में इस वर्णन से सिद्ध होता है कि दिव्य शक्तियों से परिवेष्टित देवी-देवताओं की अपनी-अपनी स्वतंत्र मुद्राएँ होती है। मुद्राओं के संकेत से उस दिव्य शक्ति से संपर्क स्थापित किया जा सकता है। जैसे मंत्रोच्चारण के ध्वनि संकेतों से देवता आदि का आह्वान किया जाता है वैसे ही प्रसंगानुसार देवी-देवता को उनकी अपनी प्रिय मुद्रा दिखाकर आमंत्रित किया जाता है। जैसे व्यक्ति की पहचान नाम से होती है वैसे ही देवताओं के गोपनीय सांकेतिक शब्द (कोडवर्ड) होते हैं। सेना में सांकेतिक शब्दों से एक-दूसरे को गोपनीय सूचनाएँ संप्रेषित की जाती है, उन्हें इसी के माध्यम से किसी विशिष्ट मोर्चे पर भेजना-बुलाना आदि किया जाता है । उसी तरह देवताओं के आह्वान के लिए मंत्र की सांकेतिक ध्वनियों से स्मरण किया जाता है, मुद्रा प्रयोग की सांकेतिक भाषा से उन्हें आमन्त्रित किया जाता है। मंत्र एवं मुद्रा द्वारा उस विशिष्ट तत्त्व तक सूचनाएँ संप्रेषित की जाती है । 18 समाहारतः मुद्राओं से केवल शरीर में ही परिवर्तन नहीं होता, अपितु एक सौम्यता भरे वातावरण का निर्माण भी होता है जिससे दिव्य शक्तियाँ बिना किसी व्यवधान के अवतरित हो सकती है। इस विवरण से यह भी स्पष्ट होता है कि मुद्रा देवता का सूक्ष्म स्वरूप है, वह देवों की अत्यन्त प्रिय वस्तु है और उनका इष्ट तत्त्व है। मुद्रा योग के लाभ मानव देह कुदरत का आश्चर्यजनक और रहस्यपूर्ण महायंत्र ( मशीन ) है। मुद्राएँ इस महत्त्वपूर्ण मशीन को नियंत्रण करने में स्वीच की भूमिका अदा करती है। मुद्रा रूपी स्विच से मानव शरीर में मानसिक, बौद्धिक, तात्विक एवं शारीरिक परिवर्तन बिना किसी सहयोग के सरलता से किया जा सकता है। यही मुद्रा विज्ञान की विशेषता है। इसमें किसी प्रकार के पूर्व प्रबन्ध की आवश्यकता नहीं होती, अपितु स्वेच्छा से किसी भी स्थिति में इनका प्रयोग कर सकते हैं। मुद्रा शक्ति के कुछ रूप निम्न रूप से द्रष्टव्य हैं 1. मुद्रा के द्वारा मानव देह में तीव्रता से तात्त्विक प्रत्यावर्तन, विघटन एवं परिवर्तन हो सकता है। 2. कुछ मुद्राएँ आवश्यक होने पर तत्परता से अपना प्रभाव दिखाने का
SR No.006252
Book TitleMudra Prayog Ek Anusandhan Sanskriti Ke Aalok Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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