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________________ मुद्रा योग के प्रकार एवं वैज्ञानिक परिशीलन ...29 सामर्थ्य रखती है। यदि इस तरह की मुद्राओं का निरन्तर अभ्यास किया जाये तो स्थायी लाभ प्राप्त कर सकते हैं। 3. मुद्राएँ मानव की सूक्ष्म शक्तियों को जगाने का अद्भुत सामर्थ्य रखती है। इनके द्वारा प्रसुप्त ज्ञान ग्रन्थियों एवं सुप्त स्नायु गुच्छों (ग्लैंड्स) को जागृत किया जा सकता है। 4. इस रहस्यमय मुद्रा विज्ञान के द्वारा धर्म और विज्ञान के सत्य का भी लोगों को ज्ञान करवाया जा सकता है जिससे मानव जगत का सर्वतोमुखी विकास हो सकता है। 5. मुद्रा विज्ञान योग विज्ञान का अतिसूक्ष्म अंग है अत: इस योग साधना के द्वारा लौकिक-लोकोत्तर समस्त प्रकार की सिद्धियाँ हासिल की जा सकती 6. मुद्राएँ शरीर की नियन्त्रक होती हैं अत: इनसे शरीर के विभिन्न तत्त्व एवं अवयव नियन्त्रित रहते हैं। 7. मुद्रा, शरीर के विभिन्न चक्रों को जागृत कर सम्पूर्ण स्नायुमण्डल को प्रभावित करते हुए तत्त्वों को संतुलित रखती है जिससे शरीर स्वस्थ रहता है। इस प्रकार मुद्रा योग की साधना समग्र रूप से अनुकरणीय है। मुद्रा योग का रहस्य मुद्राएँ अनन्त हैं, क्योंकि हाथ की अंगुलियों की आकृति विशेष के द्वारा मुद्रा प्रतिष्ठित होती है और हाथ की अंगलियों की विशेष तोड़-मरोड़ द्वारा जो आकृतियाँ बनती है उनके द्वारा विभिन्न मुद्राएँ बन जाती हैं। प्राचीन ऋषियों ने संसार, प्रकृति, आत्मा, मोक्ष आदि के रहस्यपूर्ण ज्ञान के साथ-साथ मानव शरीर के रहस्यों पर भी अनसंधान किया। उन्होंने मानव शरीर को सम्पूर्ण प्रकृति की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कृति के रूप में सिद्ध किया है। मानव देह की संरचना का सूक्ष्मता से अध्ययन करने पर सकल ब्रह्माण्ड की विचित्रता दृष्टिगत हो जाती है। यह ध्यातव्य है कि प्राचीन भारतीय अनुसंधान कर्ताओं ने मानव देह को जितना पहचाना उतना आधुनिक विज्ञान अनुसंधान नहीं कर पाया है, फिर भी तत्त्व योग के अनुसार मुद्रा विज्ञान के द्वारा मानव शरीर के सम्बन्ध में बहुत कुछ जाना जा सकता है।
SR No.006252
Book TitleMudra Prayog Ek Anusandhan Sanskriti Ke Aalok Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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