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________________ 22...मुद्रा योग एक अनुसंधान संस्कृति के आलोक में है तथा इन अंगुलियों को अंगूठे के मूल पर संयोजित कर अंगूठे द्वारा दबाने से उस तत्त्व की कमी होती है। इस प्रकार विभिन्न मुद्राओं के माध्यम से तत्त्वों को इच्छानुसार घटाकर अथवा बढ़ाकर सन्तुलित किया जाता है। परिणामत: यह जीवन शारीरिक एवं मानसिक व्याधियों से राहत पाता है। मद्राओं का स्नायु मण्डल और यौगिक चक्रों पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है फलतः षट्चक्र जागृत होते हैं, सुषुप्त शक्तियों का भेदन होता है तथा संसाराभिमुख जीवन आत्मदिशा की ओर अग्रसर बनता है। इस तरह व्यक्ति शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करके अपने जीवन को सुखसमृद्धि से समन्वित कर लेता है। सामान्य तौर पर मुद्राओं द्वारा व्यक्ति का शरीर संतुलित एवं स्वस्थ रहता है, अन्तःस्रावी ग्रंथियों में पिट्यूटरी ग्रन्थि अधिक शक्तिशाली हो जाती है। इससे शरीर में रोग की प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है और अन्तस् चेतना अनावश्यक विकल्पों से रहित हो जाती है। ___ इस तरह निर्विवाद सिद्ध होता है कि मुद्रायोग प्रत्येक साधक के स्वस्थ एवं समृद्ध जीवन शैली के निर्माण हेतु एक आवश्यक प्रयोग है। मुद्राएँ न केवल शारीरिक स्तर पर कार्य करती हैं अपितु व्यक्ति के मानसिक, वाचिक, भावनात्मक स्तर को भी प्रभावित करती हैं। व्यक्ति की जीवनशैली, गतिविधियाँ, प्रवृत्तियों का संचालन और नियन्त्रण में भी मद्राएँ अपनी विशिष्ट भूमिका अदा करती हैं। मुद्राओं के सही एवं संतुलित उपयोग से व्यक्ति अनूकुल अथवा प्रतिकूल परिस्थितियों और वातावरण के बीच भी अपना संतुलित जीवन यापन करता हुआ स्वस्थ और दीर्घायु जीवन जीते हुए अपने लक्ष्य को उपलब्ध कर सकता है। ध्यान और मुद्रा ____ ध्यान अध्यात्म साधना की परिपूर्णता का प्रकृष्ट प्रयोग है। ध्यान से सर्वकार्यों की सिद्धि संभव है। चित्त की एकाग्रता को ध्यान कहा जाता है। लौकिक कार्य हो अथवा भौतिक, वैयक्तिक कार्य हो अथवा सामाजिक, उनकी सफलता हेतु मन की एकाग्रता आवश्यक है। जब भौतिक समृद्धि की प्राप्ति के लिए भी शरीर एवं मन की स्थिरता जरूरी होती है तब आभ्यन्तर समृद्धि के लिए इसका मूल्य कितना हो सकता है यह अनुभवगम्य है।
SR No.006252
Book TitleMudra Prayog Ek Anusandhan Sanskriti Ke Aalok Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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