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________________ 12...मुद्रा योग एक अनुसंधान संस्कृति के आलोक में 4. हृदय मुद्रा- सागर, स्वर्ग, मृत्यु, ध्यान, स्मृति, सम्पूर्ण आदि। 5. अर्धचन्द्र मुद्रा- क्यों, कहाँ, आकाश, ईश्वर, प्रारम्भ आदि। 6. मकर मुद्रा- किरण, मक्खी, चूड़ी, वेद आदि। 7. सूचीमुख मुद्रा- भौंह, दुम, कूदना, संसार, महीना आदि। 8. हंसास्य मुद्रा- दृष्टि, उज्जवल, लाल, काला, पंक्ति आदि। 9. शिखर मुद्रा- मार्ग, नेत्र, पैर, चलना, खोजना आदि। 10. ऊर्णनाभ मुद्रा- चीता, घोड़ा, कमल, बर्फ, फल आदि। 11. मुकुल मुद्रा- वानर, भेड़िया, कोमल आदि। 12. शुकतुण्ड मुद्रा- पक्षी। 13. कर्तरीमुख मुद्रा- पुरूष-गृह, पाप, ब्राह्मण, शुद्धता आदि। 14. मृगशीर्ष मुद्रा- हिरण। 15. अंजलि मुद्रा- अग्नि, घोड़ा, शेर, क्रोध, वर्षा, डाली आदि। 16. वर्धमान मुद्रा- कानों का कुण्डल, कुआँ, महाव्रत, योगी आदि। 17. पल्लव मुद्रा- भैंस, प्रमाण, शर्त, धुआँ, वज्र आदि। 18. कपित्थक मुद्रा- स्पर्श करना, जाल, संदेश, घूमना, पृष्ठ आदि। 19. सर्पशीर्ष मुद्रा- सर्प। 20. कटकमुख मुद्रा- बांधना, तीर से मारना। 21. कटक मुद्रा- कृष्ण, विष्णु, स्वर्ण, दर्पण, नारी आदि। 22. भ्रमर मुद्रा- हाथी के कान, छाता आदि। 23. मुष्टि मुद्रा- आज्ञा, मन्त्री, औषधि, वरदान, आत्मा। 24. अराल मुद्रा- वृक्ष, मूर्ख, दुष्ट। आशय यह है कि उक्त 24 मुद्राएँ अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि इन प्रत्येक के द्वारा कई अर्थों का बोध किया जा सकता है। इसी तरह अन्य मुद्राओं के वैशिष्ट्य को भी समझना चाहिए। यहाँ 24 मुद्राओं का उल्लेख तो उदाहरण मात्र है। 3. बहिर्जगत एवं आभ्यन्तर जगत सम्बन्धी मुद्राएँ बहिर्जगत से तात्पर्य शारीरिक, भौतिक, सांसारिक जगत है तथा आभ्यन्तर जगत से अभिप्राय मानसिक, धार्मिक, भावनात्मक जगत है। मुद्रा विज्ञान सागर की भाँति विशाल है। जिस तरह समुद्र में हीरे-कंकर
SR No.006252
Book TitleMudra Prayog Ek Anusandhan Sanskriti Ke Aalok Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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