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________________ मुद्रा योग के प्रकार एवं वैज्ञानिक परिशीलन ...11 में हाथ मिल जाते हैं। यदि हम किसी के मस्तक पर सहज रूप से हाथ फिराते हैं तो भी प्रेम भाव प्रस्फुटित होने लगता है। इसी तरह अंगुलियों से कड़के निकालना, आलस मरोड़ना, दाँतों से नाखून काटना, दाँत किटकिटाना आदि अनेक मुद्राएँ स्वत: उभर आती है। इन मुद्राओं की कहीं कोई शिक्षा नहीं दी जाती, इसके लिए कहीं कोई शिक्षा केन्द्र या शिक्षिकाएँ नहीं होती, परिवार समाज या अड़ोस-पड़ोस के बीच रहते हुए किसी को देखकर भी इस तरह की मद्राएँ नहीं सीखी जाती है। बल्कि ये संस्कारगत रूप से अपने आप ही उभर आती हैं और व्यक्ति इनका उपयोग कर लेता है। 2. नृत्य सम्बन्धी मुद्राएँ आदिम युग में जब भाषा पर्याप्त रूप से विकसित नहीं हो पायी थी, तयुगीन प्रजातियाँ सांकेतिक आकृतियों के माध्यम से पारस्परिक संवाद करती थी। उसके पश्चात भगवान ऋषभदेव ने लिपिकला, नृत्यकला आदि का शिक्षण दिया तबसे नृत्य आदि के हाव-भाव द्वारा भावाभिव्यक्ति की जाने लगी। हाथों एवं पैरों दोनों अंगों के प्रत्यावर्तन से मुद्राओं का निर्माण होता है। ___ पैरों के संचालन से निष्पन्न मुद्रा के तीस प्रकार बताये गये हैं। यहाँ हमारा अभिप्रेत हाथों की मुद्राओं से है। सर्वप्रथम भरत मुनि के नाट्यशास्त्र में नृत्य हस्त की 30 मुद्राओं का वर्णन प्राप्त होता है। भरत मुनि ने असंयुक्त हस्त की 24 और संयुक्त हस्त की 13 मुद्राओं का भी निरूपण किया है। इसी नाट्यशास्त्र का अनुसरण करते हुए विष्णुधर्मोत्तर पुराण, समरांगण सूत्रधार, नृत्याध्याय आदि ग्रन्थों में भी नृत्य मुद्राओं का वर्णन प्राप्त होता है। संगीत रत्नाकर में नृत्य के आधार पर 24 प्रकार की मुद्राओं का उल्लेख किया गया है। इन मुद्राओं के माध्यम से 24 प्रकार के अलग-अलग भावों को अभिव्यक्त किया जा सकता है। ये मुद्राएँ नृत्य जगत की सांकेतिक भाषा कही जा सकती हैं। इन मुद्राओं के नाम एवं उनके द्वारा अभिव्यक्त भावों की तालिका निम्न प्रकार है 1. पताका मुद्रा- झण्डा, सूर्य, राजा, महल, शीत, ध्वनि आदि। 2. त्रिपताका मुद्रा- सूर्यास्त, सम्बोधन, शरीर, भिक्षायाचना आदि। 3. हंसपक्ष मुद्रा- मित्र, पर्वत, चन्द्र, वायु, केश, पुकारना आदि।
SR No.006252
Book TitleMudra Prayog Ek Anusandhan Sanskriti Ke Aalok Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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