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________________ 8...मुद्रा योग एक अनुसंधान संस्कृति के आलोक में 7. मुद्रानिघण्टु, पृ. 68 8. तन्त्रालोक में कर्मकाण्ड, पृ. 177 9. तन्त्रालोक में कर्मकाण्ड, पृ. 177 10. शारदातिलक, पृ. 510 11. शिवसूत्रवार्तिक, 22 12. ईश्वरसंहिता, 2/1-3 13. ईश्वरसंहिता, 24/2 14. ईश्वरसंहिता, 24/71 15. नारदीयसंहिता, 6/50-52 16. नारदीय संहिता, 6/6-7 17. क्रियाशक्तिस्तु विश्वस्य, मोदनाद् द्रावणात्तथा मुद्राख्या सा यदा, संविदम्बिका त्रिकलामयी योगिनी हृदय, 1/57 18. तन्त्रालोक, संपा. द्विवेदी, 32/3 19. स्वच्छन्दतन्त्र, भा. 5, 11/13 की व्याख्या, पृ. 8 20. (क) तन्त्रालोक, 32/3 (ख) स्वच्छन्दतन्त्र, भा.1, 2/102 की टीका 21. तन्त्रालोक, भा. 7, 32/2 की व्याख्या 22. तन्त्रालोक, संपा. परमहंसमिश्र भा.2, 4/200 का भाष्य, पृ. 166 23. तन्त्रालोक, संपा. परमहंस मिश्र, भा.2, 4/200 का भाष्य, पृ. 166 24. मुदं कुर्वन्ति देवानां, मनांसि द्रावयन्ति च । तस्मान् मुद्रा इति ख्याता, दर्शितव्याः कुलेश्वरि । कुलार्णवतन्त्र, 17/57 25. पृथुकास्तण्डुला भृष्टा, गोधूमचणकादयः। तस्य नाम भवेद्देवि, मुद्रा मुक्ति प्रदायिनी ॥ निर्वाणतन्त्र, अध्याय 11 26. प्रज्ञोपाय विनिश्चयसिद्धि, 5/24 सेकोद्देश्य टीका, पृ. 56
SR No.006252
Book TitleMudra Prayog Ek Anusandhan Sanskriti Ke Aalok Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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