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58...मुद्रा योग एक अनुसंधान संस्कृति के आलोक में
25. विमल मुद्रा 26. घट मुद्रा 27. शिखरिणी मुद्रा 28. तुङ्ग मुद्रा 29. पुण्ड्र मुद्रा 30 अध्रपुण्ड्रक मुद्रा 31. सम्मिलनी मुद्रा 32. कुण्ड मुद्रा 33. चक्र मुद्रा 34. शूल मुद्रा 35. सिंहवक्त्र मुद्रा 36. गोमुख मुद्रा 37. प्रोन्नाम मुद्रा 38. उन्नमनं मुद्रा 39. बिम्ब मुद्रा 40. पाशुपत मुद्रा 41. शुद्धम मुद्रा 42. त्याग मुद्रा 43. उत्सारिणी मुद्रा 44. प्रसारिणी मुद्रा 45. उग्र मुद्रा 46. कुण्डली मुद्रा 47. व्यूह मुद्रा 48. त्रिमुखा मुद्रा 49. आसिवल्ली मुद्रा 50. योग मुद्रा 51. भेद मुद्रा 52. मोहनम मुद्रा 53. बाण मुद्रा 54. धनु मुद्रा 55. तूणीर मुद्रा।
अन्य 53 मुद्राएँ विशिष्ट अवसरों पर प्रयुक्त होती हैं।30 इस पुराण में महा मुद्रा, धेनु मुद्रा, योनि मुद्रा एवं खेचरी मुद्रा का भी वर्णन प्राप्त होता है।
श्रीमद्देवी भागवतपुराण में सन्ध्योपासना करने की विधि बताते हुए गायत्री जाप से पूर्व 24 प्रकार की हस्त मुद्राएँ प्रदर्शित करने का निर्देश है। उक्त मुद्राएँ वेदमाता गायत्री देवी को परम प्रसन्न करती हैं।31 10. माहेश्वराचार्य क्षेमराजकृत श्री स्वच्छन्दतन्त्र में वर्णित मुद्राएँ ___1. आवाहनी मुद्रा 2. स्थापनी मुद्रा 3. योनि मुद्रा 4. निष्ठुरा मुद्रा। ये मुद्राएँ महादेवी भैरव को प्रदर्शित की जाती है।32
1. मुण्ड मुद्रा 2. खङ्ग मुद्रा 3. कपाल मुद्रा 4. अंकुश मुद्रा 5. पाश मुद्रा 6. नाराच मुद्रा 7. धनु मुद्रा 8. घण्टा मुद्रा 9. वीणा मुद्रा 10. डमरू मुद्रा 11. त्रिशूल मुद्रा 12. वज्र मुदा 13. मुद्गर मुद्रा 14. परशु मुद्रा 15. शंख मुद्रा 16. पद्म मुद्रा।
ये मुद्राएँ भी लगभग महादेवी भैरव को दिखाई जाती है।33 11. अभिनवगुप्त प्रणीत तन्त्रालोक में निर्दिष्ट मुद्राएँ
1. पद्म मुद्रा 2. शूल मुद्रा 3. चक्र मुद्रा 4. शक्ति मुद्रा 5. दण्ड मुद्रा 6. वज्र मुद्रा 7. दंष्ट्रा मुद्रा 8. कपाल मुद्रा।
ये मुद्राएँ खेचरी मुद्रा से सम्बन्धित मानी गई हैं तथा इन्हें महामुद्रा कहा गया है।34
1. शशाकिनी (खेचरी) मुद्रा 2. व्योम मुद्रा 3. हृदय खेचरी मुद्रा 4. शान्ता मुद्रा 5. शक्ति मुद्रा 6. पंचकुण्डली मुद्रा 7. पंचकुण्डलिनी संहार मुद्रा 8. उत्क्रामणी मुद्रा 9. साहस मुद्रा।
ये मुद्राएँ भी खेचरी मुद्रा से सन्दर्भित कही गई हैं।35