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जैन एवं इतर परम्परा में उपलब्ध मुद्राओं की सूची ...55 तदनन्तर निर्वाणकलिका ग्रन्थ का अनुसरण करते हुए मुद्राविचार प्रकरण में यथावत उन्हीं 63 मुद्राओं का उल्लेख किया गया है।
तत्पश्चात सुबोधासामाचारी में 16 मुद्राओं के नाम लगभग निर्वाणकलिका से मिलते-जुलते हैं। इसी तरह तिलकाचार्यसामाचारी में निर्दिष्ट मुद्राओं के नाम भी प्राय: निर्वाणकलिका से साम्य रखते हैं।
उसके पश्चात विधिमार्गप्रपाकार ने भी निर्वाणकलिका का अनुसरण करते हुए तत्सम्बन्धी लगभग सभी मुद्राओं को अपने ग्रन्थ में समाविष्ट किया है तथा 14 मुद्राएँ उससे अतिरिक्त भी बतायी है।
उसके बाद आचारदिनकर में 42 मुद्राएँ विधिवत कही गई हैं इनमें से अधिकांश मुद्राएँ पूर्ववर्ती ग्रन्थों से भिन्न हैं। इसी क्रम में लघुविद्यानुवाद के अन्तर्गत 44 मुद्राओं का वर्णन प्राप्त होता है जो अक्रम पूर्वक निर्वाणकलिका एवं विधिमार्गप्रपा से पूर्ण साम्यता रखता है। ___ इसी भाँति ऋषिगुणरत्न द्वारा लिखित मुद्राविधि में 115 मुद्राओं का सविधि निरूपण किया गया है जिनमें लगभग 60 मुद्राएँ विधिमार्गप्रपा के समान ही है। इसके अतिरिक्त कुछ मुद्राओं के नाम समान हैं किन्तु प्रयोग विधि भिन्न है तथा कुछ मुद्राओं की प्रयोग विधि समान है परन्तु नामों में भिन्नता है।
कल्याणकलिका में संग्रहित मुद्राएँ उपरोक्त ग्रन्थों से ही उद्धृत होनी चाहिए। आधुनिक विधिकारक कल्याणकलिका में निर्दिष्ट मुद्राओं का ही विशेष उपयोग करते हैं। इसके सिवाय पंचाशकप्रकरण, षोडशकप्रकरण, प्रवचनसारोद्धार, सूरिमन्त्र की साधना विधि इत्यादि कृतियों में भी मुद्राओं के नाम प्राप्त होते हैं, किन्तु वहाँ उनका निरूपण साधना विधि की अपेक्षा से है जबकि निर्वाणकलिका आदि ग्रन्थों में मद्राओं के सम्बन्ध में स्वतन्त्र विचार किया गया है।
वैदिक ग्रन्थों में प्रतिपादित मुद्राओं की सूची 1. घेरण्ड संहिता में उल्लिखित मुद्राएँ
1. महा मुद्रा 2. नभो मुद्रा 3. उड्डीयानबन्ध मुद्रा 4. जालन्धर बन्ध मुद्रा 5. मूलबन्ध मुद्रा 6. महाबन्ध मुद्रा 7. महावेध मुद्रा 8. खेचरी मुद्रा 9. विपरीतकरणी मुद्रा 10. योनि मुद्रा 11. वज्रोली मुद्रा 12. शक्तिचालिनी मुद्रा 13. ताड़ागी मुद्रा 14. माण्डुकी मुद्रा 15. शाम्भवी मुद्रा 16. पंचधारणा मुद्रा