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54...मुद्रा योग एक अनुसंधान संस्कृति के आलोक में 94. विस्मया मुद्रा 95. चुंटन मुद्रा 96. श्रीवत्स मुद्रा 97. अक्ष मुद्रा 98. गदा मुद्रा 99. घण्ट मुद्रा 100 नाद मुद्रा 101. कमण्डलु मुद्रा 102. परशु मुद्रा 103. अपर परशु मुद्रा 104. वृक्ष मुद्रा 105. सर्प मुद्रा 106.ज्वलन मुद्रा 107. शिवशासन मुद्रा 108. शूल मूद्रा 109. श्रीमणि मुद्रा 110. शूल मुद्रा 111. संहार मुद्रा 112. परमेष्ठि मुद्रा 113. अंजलि मुद्रा 114. जिन मुद्रा 115. सौभाग्य मुद्रा।13 10. गणि कल्याणविजय रचित कल्याणकलिका में उल्लिखित मुद्राएँ
1. जिन मुद्रा 2. कुम्भ मुद्रा 3. नमस्कार मुद्रा 4. प्रणिपात मुद्रा 5. भंगार मुद्रा 6. अभय मुद्रा 7. त्रासनी मुद्रा 8. वज्र मुद्रा 9. पद्म मुद्रा 10. चक्र मुद्रा 11. परमेष्ठी मुद्रा 12. अंग मुद्रा 13. अंजलि मुद्रा 14. सौभाग्य मुद्रा 15. गरूड़ मुद्रा 16. मुक्ताशुक्ति मुद्रा 17. मुद्गर मुद्रा 18. तर्जनी मुद्रा 19. प्रवचन मुद्रा 20. धेनु मुद्रा 21. आसन मुद्रा 22. अंकुश मुद्रा 23. मत्स्य मुद्रा 24. कवच मुद्रा 25. अस्त्र मुद्रा 26. क्षुर मुद्रा।
कल्याणक कलिका में उपर्युक्त मुद्राओं का निर्देश प्रतिष्ठा एवं पूजा आदि के सन्दर्भ में किया गया है।
27. आवाहनी मुद्रा 28. स्थापनी मुद्रा 29. संनिधानी मुद्रा 30. संनिरोधिनी मुद्रा 31. संमुखीकरण मुद्रा 32. अवगुंठनी मुद्रा 33. संहार मुद्रा ।14
ये मुद्राएँ जाप-अनुष्ठान में उपयोगी कही गई है। 11. आचार्य तुलसी के शिष्य मुनि श्री किशनलालजी द्वारा प्रणीत मुद्राएँ ___ 1. अहँ मुद्रा 2. सिद्ध मुद्रा 3. आचार्य मुद्रा 4. उपाध्याय मुद्रा 5. साधु
मुद्रा।15
तुलना ___जैन उपासना पद्धति में उपयोगी पंचांग प्रणिपात, उत्कटासन, वीरासन, कायोत्सर्ग, मुक्ताशुक्ति आदि मुद्राओं का वर्णन आगम एवं टीका साहित्य में स्पष्ट रूप से उपलब्ध हो जाता है, किन्तु मन्त्र-जाप आदि की विशिष्ट साधनाओं एवं पूजा-प्रतिष्ठा आदि प्रसंगों में उपयोगी मुद्राओं की एक क्रमिक सूची सर्वप्रथम निर्वाणकलिका में प्राप्त होती है। इसमें मुद्रा प्रयोग की विधि भी दी गई है।