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672... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन
व्यंग
: टेढ़ा।
व्यजन
: पंखा ।
व्यक्तिक्रम
: मर्यादा से अधिक।
व्यास
व्योमन् : शून्य, आकाश ।
वितान
विस्तार
शंकु शंखावर्त्त
शदुरम्
शाखा
शस्या शाखोर
: विस्तार, गोल के समान दो भाग करने वाली रेखा ।
शिखर
शिर
शिरपत्रिका
शिरावटी
शुकनास
: गूमट के नीचे का भाग, छत।
: चौड़ाई |
: प्रासाद के 2/5 मान का कोली मंडप । : शाखा का पेटा भाग
शाल भंजिका : नाच करती हुई पाषाण की पुतलियाँ।
शाला
: छाया मापक यंत्र ।
: प्रासाद की देहरी के आगे की अर्धचन्द्र आकार वाली शंख
और लताओं वाली आकृति
: स्तम्भ का चतुष्कोण भाग
: द्वार की चौखट का पक्खा, जो भित्ति स्तम्भ के समान
होता है।
: प्रासाद, गंभारा, छोटा कमरा, भद्र, परसाल, बरामदा, ढोल के आकार का छत सहित आयताकार मन्दिर ।
: शिवलिंग के आकार वाला गुम्बज, मन्दिर का ऊपरी भाग या छत, दक्षिण भारतीय शिखर गुम्बजाकार, अष्टकोणवाला या चतुष्कोण, होता है।
: शिखर शिरावटी, ग्रास मुख ।
: ग्रास मुख वाली पट्टी, दासा।
: भरणी के ऊपर का थर, शीर्ष ।
: प्रासाद की नासिका, उत्तर भारतीय शिखर के सम्मुख भाग से संयुक्त एक बाहर निकला भाग जिसमें एक बड़े चैत्य गवाक्ष की संयोजना होती है। शुक नासा शिखर के जिस भाग पर सिंह की मूर्ति बनाई जाती है, वह स्थान ।
शुण्डाकृति : हाथी ।