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वज्र
वत्स
वपुस
वराल
वर्धमान
वाजिन्
वापी
वामन
वाराह
वारि
वारिमार्ग
वृत
वेदिका
: हीरा ।
: आकाशीय कल्पित एक संज्ञा ।
: शरीर ।
वरद
वरंडिका
: ग्रास, जलचर विशेष,
: प्रतिकर्ण वाला स्तम्भ |
विधु विद्ध विपर्यास : उल्टा। विलोक्य : खुला भाग। विस्तीर्ण : विस्तार, चौड़ाई ।
: गोलाई, गोलाकृति।
मगर ।
: अश्वथर ।
: बावड़ी ।
: मंडप के व्यास के आधे मान की ऊँचाई वाला गुम्बद, जगती के आगे का वलाणक मंडप ।
: मंडप के व्यासार्ध के 2/3 मान की ऊँचाई वाला गुम्बज ।
: जल।
: दीवार के बाहर निकला हुआ खांचा, बरसाती पानी के बहाव के लिए बारिक नालियाँ, सलिलांतर ।
: चन्द्रमा।
: वेध, रुकावट।
परिशिष्ट ... 671
: पीठ, प्रासाद आदि का आसन ।
: वर प्रदान करने की सूचक हस्त मुद्रा ।
: शिखर और जंघा के मध्य कुछ गोटों से मिलकर बना हुआ
भाग।
विद्याधर
: गुम्बज में नृत्य करने वाले विशिष्ट देवों का रूप ।
: पीठ, राजसेन के ऊपर का थर ।
वेदी वेदिबन्ध : अधिष्ठान, आधार, जगती।
वेश्मन : मन्दिर, घर।
वैराटी
व्यक्त
: प्रासाद की कमलपत्र वाली दीवार ।
: प्रकाश वाला।