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________________ प्रतिष्ठा सम्बन्धी विधि-विधानों का ऐतिहासिक... ...575 वर्तमान में सकलचन्द्रगणि कत प्रतिष्ठा कल्प के आधार पर प्रतिष्ठा विधि करवाई जाती है जिसमें पूर्ववर्ती निर्वाणकलिका, विधिमार्गप्रपा, आचार दिनकर आदि के अनुसार युगानुकूल नवीनीकरण किया गया है और उसे धर्म प्रभावना की दृष्टि से विस्तृत रूप दे दिया गया है। वर्तमान में पंचकल्याणक महोत्सव की जो परम्परा देखी जाती है वह प्राचीन विधि-विधान में नहीं थी। उस समय विवाह- मामेरा आदि के लम्बे-चौड़े विधान नहीं थे। आधुनिक प्रतिष्ठा सम्बन्धी विधि-विधानों के आधार ग्रन्थ एवं उनका समालोचनात्मक अध्ययन प्राचीन काल में प्रतिष्ठाएँ होती थीं और वर्तमान काल में भी प्रतिष्ठाकर्म होता है। प्रतिष्ठा सम्बन्धी क्रिया विधान पूर्वयुग में भी होते थे और आधुनिक युग में भी होते हैं, परन्तु इन अनुष्ठानों को सम्पादित करने हेतु किसी भी प्रामाणिक ग्रन्थ का आधार होना आवश्यक है। आज किसी प्रमुख ग्रन्थ के आधार पर क्रिया-विधान नहीं होते हैं। जलयात्रा विधि का आधार कोई एक ग्रन्थ है तो कुंभस्थापना विधि का आधार दूसरा है। दश-दिक्पालों का पूजन किसी ग्रन्थ के आधार से करवाया जाता है तो प्रतिष्ठा विधि किसी तीसरे ग्रन्थ के अनुसार करवायी जाती है। इन सभी अव्यवस्थाओं का मुख्य कारण इससे सम्बन्धित एक प्रामाणिक और सर्वांग सम्पन्न ग्रन्थ का अभाव ही माना जा सकता है। ___ गणि कल्याण विजयजी के निर्देशानुसार वर्तमान युग में प्रचलित अंजनशलाका प्रतिष्ठा, बिंब प्रवेश विधि और अष्टोत्तरी महापूजन इत्यादि के आधार ग्रन्थ चार हैं1. उपाध्याय सकलचन्द्रगणि का प्रतिष्ठा कल्प। 2. रत्नशेखरसूरि विरचित जलयात्रादि विधि। 3. यति कान्तिसागर संकलित बिम्ब प्रवेश विधि। 4. अष्टोत्तर स्नात्र पूजा। उपर्युक्त चारों ग्रन्थों को संयुक्त कर उसे एक सर्वांग, पूर्ण और प्रामाणिक ग्रन्थ मानकर तदनुसार विधि-विधान करवाने का निर्णय किया जा सके, ऐसा भी नहीं है क्योंकि सकलचंद्र कृत प्रतिष्ठाकल्प का अधिकांश भाग अव्यवस्थित है। जलयात्रा विधि की मुद्रित प्रति के ऊपर रचनाकार के रूप में रत्नशेखर सूरि का नाम प्रकाशित है लेकिन यह ग्रन्थ उसी रचयिता का हो इस सम्बन्ध में
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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