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494... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन निवारण करते हैं। इसलिए इन्हें भी संतुष्ट रखना चाहिए। परमात्मा के प्रभाव से हमारी ग्रह पीड़ा आदि भी नष्ट हो जाती है।
पाटला पूजन की उपादेयता- दिक्पाल आदि देव गाँव एवं समाज की रक्षा करते हैं। इससे सामूहिक समस्याओं एवं ग्रह पीड़ाओं का शमन होता है जिससे समाज के आध्यात्मिक एवं भौतिक विकास में सहायता प्राप्त होती है।
ग्रहों एवं नक्षत्रों का प्रभाव सम्पूर्ण विश्व पर परिलक्षित होता है ऐसा ज्योतिषशास्त्रियों का मानना है। अत: दिक्पाल एवं ग्रह देवताओं को सम्मान देने से विश्व स्तर की अनेक समस्याएँ हल की जा सकती हैं।
खनन विधि का प्रचलित स्वरूप खनन का सामान्य अर्थ है- खोदना पोला करना। मन्दिर अथवा गृह आदि के नव निर्माण से पूर्व यह क्रिया की जाती है।
खनन की आवश्यकता क्यों?
खनन गृह आदि निर्माण का प्रारम्भिक मंगल विधान है। इस विधि के द्वारा भूमि की श्रेष्ठता आदि का परीक्षण कर उस स्थान की अशुद्धि को दूर किया जाता है। इससे वह भूमि निर्मल और दोष मुक्त हो जाती है। इस प्रकार भूमि शुद्धि के लिए खनन करते हैं।
खनन विधि कब और किस दिशा तरफ की जाए?- मकान, दुकान आदि किसी भी वस्तु के नवनिर्माण हेतु सर्वप्रथम खनन क्रिया की जाती है। यह विधान शुभ लग्न में किया जाता है ताकि अथ से इति तक सम्पूर्ण कार्य निर्विघ्न सम्पन्न हो। शुभ मुहूर्त में भूमि खोदने की क्रिया प्रारम्भ करना ही खनन कहलाता है।
___ मन्दिर या गृहादि का निर्माण जिस दिशा या कोण में करना हो उसके लिए मुहूर्त के अनुसार खनन का स्थान निर्धारित रहता है। तदनुसार नियत कोण आदि में खनन क्रिया करते हैं। यह क्रिया करते समय सर्वप्रथम पुष्प आदि के द्वारा भूमि का सत्कार करते हैं। तत्पश्चात दश दिक्पालों का आह्वान, पूजन आदि करके मन्त्रपूर्वक भूत-प्रेतादि का निवारण किया जाता है। फिर पंचगव्य और स्वर्णजल का छिड़काव कर वाजिंत्रादि के साथ खनन विधि प्रारम्भ करते हैं।
खनन के अधिकारी कौन?- यह क्रिया विधिकारक, स्नात्रकार एवं लाभार्थी गृहस्थ परिवार मिलकर करते हैं। साधु-साध्वी उपस्थित हों तो उनके द्वारा खनन भूमि पर वासचूर्ण डाला जाता है।