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प्रतिष्ठा सम्बन्धी मुख्य विधियों का बहुपक्षीय अध्ययन ... 495
भूमि परीक्षण की विधि - शुभ या अशुभ भूमि के परीक्षण हेतु पुरुष परिमाण या एक हाथ लम्बा - चौड़ा और गहरा गड्ढा खोदें। फिर खोदी हुई मिट्टी से ही पुन: उस गड्ढे को भरें। यदि गड्ढा भर जाये या मिट्टी बच जाए तो उस स्थान को उत्तम समझना चाहिए और यदि गड्ढा खाली रह जाए तो उसे निकृष्ट माना जाता है।
खनन करते समय क्या भावना करें? - खनन करते समय समस्त संघ एवं विश्व की मंगल कामना करते हुए यह कार्य करना चाहिए। उस भूमि के जो भी अधिकारी देवी-देवता हैं उनका स्मरण करते हुए उनसे आज्ञा ग्रहण करें तथा उन्हें सहायक बनने हेतु निवेदन करें एवं आने वाले उपद्रवों को शांत करने की प्रार्थना करें। इसी के साथ जिस कार्य को प्रारम्भ किया है वह शीघ्र, सुन्दर एवं निर्विघ्नता पूर्वक सम्पन्न हो, ऐसी मंगल भावना उपस्थित सकल संघ को करनी चाहिए।
खनन के विषय में जन धारणाएँ- खनन करते समय साँप आदि निकलें तो उसे शुभ माना जाता है। भूमि पोली हो और जल आदि से परिपूर्ण हो तो उसे अधिक उत्तम माना जाता है।
शुभ लग्न में किया गया कार्य शीघ्र सफलता देता है, इसलिए मंदिर निर्माण जैसे उत्तम कार्यों का प्रारंभ शुभ मुहूर्त्त आदि के विचार पूर्वक करना आवश्यक है।
शिलान्यास विधि का पौराणिक स्वरूप
शिला का अर्थ है पत्थर, चट्टान आदि और न्यास का अर्थ है स्थापना करना या रखना। किसी देवालय की नींव में पहले पत्थर को शुभ समय में विधिपूर्वक रखना शिलान्यास कहलाता है। इसे नींव का प्रारम्भ भी कह सकते हैं।
शिला स्थापना की आवश्यकता क्यों? - जिस प्रकार भवन निर्माण में खंभे मूलपाद रूप होते हैं उसी प्रकार मंदिर निर्माण में शिलाएँ मूल पाद रूप होती हैं। इस प्रकार जो शिलाएँ जिनालय - उपाश्रय आदि के लिए मूल पाये के रूप में होती हैं उनका उत्सव पूर्वक स्थापन करना सर्व संघ के लिए कल्याणकारी है। इसलिए शिलाओं को बहुमान पूर्वक स्थापित करते हैं। इसका पूजोपचार पूर्वक विधान करने से आस-पास के दुष्ट एवं कुपित देव भी प्रसन्न हो जाते हैं।