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________________ प्रतिष्ठा उपयोगी विधियों का प्रचलित स्वरूप ...373 चारों ओर 100-100 कदम दूर जाकर रख आएं। संध्या पात्र- फिर विधिकारक सन्ध्या के समय जिनमन्दिर की छत पर चार पात्र रखें। उनमें एक मिट्टी के पात्र में लापसी, दूसरे में उबाले हुए चने, तीसरे में वघार दिए गए चावल और चौथे में पानी रखते हैं। ये चारों पात्र निम्न गाथा बोलकर एवं थाली बजाकर पट्टे पर रखें। वहाँ धूप-दीप भी रखें। ॐ भवणवइवाणमंतर, जोइसवासी विमाणवासी य। जे के वि दुट्ट देवा, ते सव्वे उवसमंतु मम स्वाहा ।। सोलह पात्र-रात्रि का एक प्रहर बीतने के पश्चात जिन मंदिर में सोलह पात्र निम्न विधि से रखें उस दिन चार माता-पिता वाली स्त्री के द्वारा निम्नानुसार भोजन तैयार करवाएँ 1. एक कटोरी कंसार 2. दही 3. एक कटोरी चावल 4. एक कटोरी वघारे गये चावल 5. मालपूआ 3 नग 6. चवले आटे के मसाले वाले पुडले3 नग 7. एक कटोरी खीर 8. उड़द के बड़े-4 नग 9. रोटी-3 नग 10 एक कटोरी उबाले हुए चने 11. एक कटोरी उबाले हुए मूंग 12. कुंकुम 13. हल्दी 14. सुपारी के टुकड़े 15. पान के पत्ते-4 नग और 16. पानी- इन पदार्थों को धोये हुए मिट्टी के सकोरों में भरें। फिर उन प्रत्येक के ऊपर गेहूँ आटे के चार कोनों वाले दीपक रखें। फिर जिनमंदिर के मध्य भाग में एक बाजोठ के ऊपर चार-चार के क्रम से सोलह सकोरों को भलीभाँति रखें। फिर एक थाली में कुंकुम और हल्दी का पानी तैयार करें। एक थाली में अलग-अलग पुष्प तैयार रखें। इस समय दशांग धूप एवं दीपक प्रज्वलित रखें। समंत पात्र- तदनन्तर क्रियाकारक देह शुद्धि पूर्वक पूजा के वस्त्र पहनकर जिनमंदिर का मुख्य द्वार बंद करें। उस द्वार के ऊपर एक सकोरे में दीपक प्रगटाएं। सोलह दीपक प्रज्वलित हो जाने के बाद क्रियाकारक वज्रपंजर स्तोत्र से आत्मरक्षा करें। फिर एक-एक पात्र को हाथ में लेकर निम्न मंत्र बोलते जाएं और पुनः बाजोठ पर रखते जाएं। ___मंत्र- ॐ ग्रहाश्चन्द्रसूर्याङ्गारक बुध बृहस्पति शुक्रशनैश्चरराहुकेतु सहिताः, सलोकपालाः, सोमयमवरूण कुबेरवासवादित्यस्कन्द विनायकोपेता ये चान्येऽपि ग्रामनगरक्षेत्रदेवतादयस्ते सर्वे प्रीयन्तां प्रीयन्ताम् । पात्र विधि चलती रहे तब तक थाली-बेलन और घंटनाद चालू रखें।
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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