________________
372... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन
ॐ दिक्पालाः पुनरागमनाय स्वाहा। ॐ सर्वेन्द्र देव्यः सर्वेन्द्रा देव्याः पुनरागमनाय स्वाहा। ॐ सर्वलोकान्तिका पुनरागमनाय स्वाहा। ॐ विद्यादेव्याः पुनरागमनाय स्वाहा। ॐजिनमातारः पुनरागमनाय स्वाहा। ॐ पंचपरमेष्ठीसरत्नत्रयाः पुनरागमनाय स्वाहा। ॐ वाग्देवते पुनरागमनाय स्वाहा। ॐ ईशानेन्द्र पुनरागमनाय स्वाहा।
ॐ सौधर्मेन्द्र पुनरागमनाय स्वाहा। तदनन्तर हाथ जोड़कर "ॐ ह्रीं श्रीं परम देवतासन परमेष्ठ्यिधिष्ठान श्री नंद्यावर्त पुनरागमनाय स्वाहा" इस मन्त्र के साथ निम्न श्लोक बोलते हुए नंद्यावर्त्त का विसर्जन करें
आज्ञाहीनं क्रियाहीनं, मन्त्रहीनं च यत्कृतम् ।
__ तत्सर्वं कृपया देव, क्षमस्व परमेश्वर ।। जिनबिम्ब पर मन्त्रन्यास विधि
जिनबिम्बों को अतिशय प्रभावी बनाने के लिए कुंकुम, चन्दन एवं कर्पूर आदि के चूर्ण रस से प्रतिमा के निम्न अंगोंपांगों पर मन्त्र न्यास करें
ललाट पर 'ॐ हां', बाएं कान पर 'ॐ ह्रीं' दाएं कान पर 'ॐ हुँ' मस्तक के पीठ भाग पर 'ॐ हुँ', मस्तक पर 'ॐ हुँ', नेत्र युगलों पर 'ॐ क्ष्मी' मुख पर 'ॐ क्ष्मी', कण्ठ पर 'ॐ क्ष्मी', हृदय पर 'ॐ क्ष्मी', दोनों भुजाओं पर 'ॐ मः' उदर पर 'ॐ क्लों', कमर पर 'ॐ ह्रीं', दोनों जंघाओं पर 'ॐ हं', दोनों पैरों पर 'ॐ ', दोनों हाथों पर 'ॐ क्षः' लिखे।21
वर्तमान प्रचलित जिनबिम्ब प्रतिष्ठा विधि अर्वाचीन प्रतियों में उपलब्ध जिनबिम्ब प्रतिष्ठा विधि का स्वरूप इस प्रकार है
प्रतिष्ठा के पूर्व की विधि- प्रतिष्ठा मुहूर्त के पहले दिन सन्ध्या को जिनमंदिर शुद्ध जल से धुलवाएं। अंगारे पात्र- फिर चार व्यक्तियों को चार अंगार पात्र (धूप पात्र) दें। वे उन पात्रों को प्रभु के सामने दिखाकर जिनालय के