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________________ प्रतिष्ठा उपयोगी विधियों का प्रचलित स्वरूप ...329 शासन देवता स्तुति या पाति शासनं जैनं, सद्यः प्रत्यूहनाशिनी। साऽभिप्रेत समृद्ध्यर्थं, भूयाच्छासन देवता ।। अम्बिका देवी स्तुति अंबा निहतडिंबा मे, सिद्ध-बुद्ध सुताश्रिता । सिते सिंहे स्थिता गौरी, वितनोतु समीहितम् ।। अच्छुप्ता देवी स्तुति खड्गखेटक कोदंड, बाणपाणिस्तडिद्युतिः । तरंग गमनाऽच्युप्ता, कल्याणानि करोतु मे ।। शक्रादि वैयावृत्यकर देवता स्तुति श्री शक्र प्रमुखा यक्षा, जिन शासनसंश्रिताः । देवा देव्यस्तदन्येऽपि, संघं रक्षं त्वपायतः ।। तत्पश्चात सम्पूर्ण नवकार मंत्र बोलकर क्रमशः शक्रस्तव, अर्हणादिस्तोत्र एवं जयवीयराय सूत्र बोलें। फिर गुरु भगवन्त स्वयं के सम्पूर्ण देह की रक्षा (सकलीकरण) करें। उसके पश्चात स्नात्रकारों को अभिमन्त्रित करें। सकलीकरण एवं शुचिविद्या आरोपण- कलीकरण करते समय मन्त्र संकेत के अनुसार अपने हाथों से उस-उस अंग का स्पर्श अवश्य करें। आचार्य का सकलीकरण मन्त्र ॐ नमो अरिहंताणं हृदयि, ॐ नमो सिद्धाणं शिरसि, ॐ नमो आयरियाणं शिखायाम्, ॐ नमो उवज्झायाणं कवचम्, ॐ नमो सव्वसाहूणं अस्त्रम्।। उसके बाद प्रतिष्ठाचार्य शुचि विद्या का आरोपण करें। उसका मन्त्र यह है औं नमो अरिहंताणं, औं नमो सिद्धाणं, औं नमो आयरियाणं, औं नमो उवज्झायाणं, औं नमो सव्वसाहूणं, ओं नमो आगासगामीणं ओं हः क्षः नमः। इस मन्त्र का तीन, पाँच या सात बार जाप करें। स्नात्रकारों का सकलीकरण मन्त्र फिर निम्न मंत्र से स्नात्रकारों का सकलीकरण करें।
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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