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________________ 328... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन मन्त्र- ॐ सर्वेपि सर्वपूजा व्यतिरिक्ता भूतप्रेतपिशाचगणगंधर्वयक्षराक्षसकिन्नरवेतालाः स्वस्थानस्था अमुं बलिं गृह्णन्तु, सावधानाः सुप्रसन्नाः विघ्न हरन्तु मंगलं कुर्वन्तु। द्रव्य पूजा एवं भाव पूजा- तत्पश्चात स्नात्र करने वाले पूर्व प्रतिष्ठित प्रतिमा की पूजा करें तथा लघु स्नात्र विधि से स्नात्र पूजा एवं आरती करें। उसके बाद प्रतिष्ठाचार्य चतुर्विध संघ के साथ चार स्तुतियों पूर्वक देववन्दन करें। फिर इसी क्रम में शान्तिनाथ, श्रुतदेवी, भवन देवता, क्षेत्र देवता, शान्ति देवता, शासन देवता, अम्बिका देवी, अच्छुप्ता देवी एवं समस्त वैयावृत्यकर देवताओं की आराधना हेतु प्रत्येक के लिए अन्नत्थसूत्र बोलकर एक नमस्कार मंत्र का कायोत्सर्ग करें और स्तुति बोलें। शान्तिनाथ के कायोत्सर्ग में एक लोगस्स सूत्र का चिंतन करें। __ श्रुत देवता आदि के कायोत्सर्ग के पश्चात क्रमश: निम्न स्तुतियाँ बोलनी चाहिए। शान्तिनाथ स्तुति रोग शोकादिभिर्दोषै, रजिताय जितारये । नमः श्री शान्तये तस्मै, विहितानत शान्तये ।। श्रुत देवी स्तुति सुवर्ण शालिनी देयाद्, द्वादशांगी जिनोद्भवाः । श्रुतदेवी सदा मह्य, मशेष श्रुत संपदम् ।। भवन देवता स्तुति चतुर्वर्णाय संघाय, देवी भवन वासिनी । निहत्य दुरितान्येषा, करोतु सुखमक्षतम् ।। क्षेत्र देवता स्तुति यासां क्षेत्रगताः सन्ति, साधवः श्रावकादयः । जिनाज्ञां साधयन्तस्ता, रक्षन्तु क्षेत्रदेवताः ।। शान्ति देवता स्तुति श्री शान्ति जिन भक्ताय, भव्याय सुख संपदम् । श्री शान्तिदेवता देयाद्, शान्तिमपनीय मे।।
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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