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________________ 326... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन वेदिका निर्माण एवं पूजन विधि कल्याणकलिका में वर्णित वेदिका निर्माण और पूजन विधि निम्न प्रकार है • प्रतिष्ठा मंडप तैयार होने के पश्चात महोत्सव के अनुष्ठानों को सम्पन्न करने के लिए उसके मध्य भाग में पूर्व निर्धारित स्थान पर एक वेदिका की रचना करवायें। यह वेदिका प्रसंग के अनुरूप ऊँची बनवायें, किन्तु 35 इंच से छोटी नहीं होनी चाहिए। • कच्ची ईंटों से वेदिका तैयार हो जाने के बाद उस पर अष्ट मंगल आदि के शुभ चित्रों का आलेखन करवायें। • तदनन्तर वेदिका के मध्य भाग में नौ अंगुल लम्बा, चौड़ा और गहरा खड्डा बनवायें। फिर चूना या खड़ी से वेदिका को पुतवायें । • उसके पश्चात सौभाग्यवती नारियाँ अथवा कुमारिकाओं के द्वारा खड्डे में केसर से स्वस्तिक बनवायें। फिर मिट्टी के सकोरे में पंचरत्न, सुवर्ण या चाँदी की मुद्रा, सुपारी, मूंग-उड़द-चवला - चना-उ - जौ - चावल और सरसव - ऐसे सात धान्य आदि वस्तुएँ डलवाकर उसे दूसरे सकोरे से ढंक दें। उसके बाद गुरु भगवन्त से वासचूर्ण डलवाएं। फिर उस सम्पुट के ऊपर रक्त वर्णीय शुद्ध रेशमी वस्त्र लपेटकर उसे अभिमन्त्रित ग्रीवा सूत्र से बांधें । • फिर सौभाग्यवती नारियाँ अथवा कन्याओं के द्वारा तीन बार नवकार मन्त्र का स्मरण करवाकर उनके हाथ से सम्पुट को खड्डे में स्थापित करवायें। • उसके पश्चात प्रतिष्ठाचार्य अभिमन्त्रित वासचूर्ण का प्रक्षेपण करें। फिर के ऊपर श्रीफल रखें। सम्पुट • यदि वेदिका समचतुरस्र हो तो उसके चारों कोनों में बाँस की अथवा अन्य शुभ वृक्ष की लकड़ियाँ लगवाकर वेदी के ऊपर बाँस का मण्डप बनवायें। उसके बाद वेदी के चारों दिशाओं में एक-एक अथवा तीन-तीन द्वार बनवायें । यदि बांस का मण्डप चार द्वार का हो तो चारों दिशाओं में एक-एक और मध्य में एक ऐसे कुल पाँच अथवा एक बड़ी घुमटी बनवायें । यदि तीन-तीन द्वार का मंडप हो तो मध्य द्वारों के भाग में 4, चार कोनों के भाग में 4 और मध्यभाग में 1 ऐसे नौ घुमटियाँ बनवायें।
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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