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प्रतिष्ठा उपयोगी विधियों का प्रचलित स्वरूप ...309
फिर अकलबेर की माला से 108 बार निम्न मंत्र का जाप करें। ॐ नमो नैर्ऋताय स्वाहा
फिर तीन बार निम्न मंत्र कहते हुए नैर्ऋत देव को तीन बार अर्घ्य देंॐ ग्लौँ हीँ नैर्ऋत संवौषट् (स्वाहा )
फिर दोनों हाथ जोड़कर प्रार्थना करें
यमापरान्तरालोऽसौ,
नैर्ऋतः
शिववाहनः ।
संघस्य शान्तये सोऽस्तु, बलि पूजां प्रतीच्छतु ।।
5. वरूण पूजा
सर्वप्रथम पश्चिम दिशा के अधिपति वरूण को पुष्प एवं सुगन्धित अक्षत चढ़ाते हुए बधायें
ॐ श्रीँ हों वरूण संवौषट् (स्वाहा ) ।
तत्पश्चात कस्तूरी के वरूण देव का आलेखन करें।
फिर निम्न मंत्र से वरूण का आह्वान करें
ॐ नमो वरुणाय पश्चिमदिगधिष्ठायकाय मकरवाहनाय पाशहस्ताय सपरिजनाय जिनबिम्ब प्रतिष्ठा महोत्सवे आगच्छ-आगच्छ स्वाहा । फिर निम्न मंत्र से वरूण देव की स्थापना करें
अत्र तिष्ठ तिष्ठ स्वाहा
फिर निम्न मंत्रों से वरूण देव की अष्ट प्रकारी पूजा करें1. चन्दनं समर्पयामि स्वाहा - चंदन से पूजा करें।
2. पुष्पं समर्पयामि स्वाहा - दमणो बोलसिरि के पुष्प चढ़ायें। 3. वस्त्रं समर्पयामि स्वाहा - नीला रेशमी वस्त्र चढ़ायें । 4. फलं समर्पयामि स्वाहा -अनार चढ़ायें।
5. धूपमाघ्रापयामि स्वाहा - धूप दिखायें ।
6. दीपं दर्शयामि स्वाहा - दीपक दिखायें।
7. नैवेद्यं समर्पयामि स्वाहा - काले तिल के लड्डू चढ़ायें।
8. अक्षतं ताम्बूलं द्रव्यं सर्वोपचारान् समर्पयामि स्वाहा -पान, अक्षत,
सुपारी और पैसा आदि चढ़ायें। फिर केरबा की माला से 108 बार निम्न मंत्र का जाप करें
ॐ वरुणाय नमः