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310... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन
फिर तीन बार निम्न मंत्र कहते हुए वरुण देव को तीन बार अर्घ्य देंॐ श्रीँ हीँ वरूण संवौषट् (स्वाहा )
फिर दोनों हाथ जोड़कर प्रार्थना करेंयः प्रतीचीदिशो नाथो, वरूणो मकरस्थितः । संघस्य शान्तये सोऽस्तु, बलिपूजां प्रतीच्छतु ।।
6. वायु पूजा
सर्वप्रथम वायव्य दिशा के अधिपति वायु को पुष्प और सुगन्धित अक्षत चढ़ाते हुए बधायें
ॐ क्लीँ हीँ वायु संवोषट् (स्वाहा ) ।
तत्पश्चात चन्दन, केसर एवं कस्तूरी से वायु देव का आलेखन करें। फिर निम्न मंत्र से वायु का आह्वान करें
ॐ नमो वायवे वायवीपतये ध्वजहस्ताय हरिणवाहनाय सपरिजनाय जिनबिम्ब प्रतिष्ठा महोत्सवे आगच्छ- आगच्छ स्वाहा ।
फिर निम्न मंत्र से वायु देव की स्थापना करें -
अत्र तिष्ठ तिष्ठ स्वाहा
2. पुष्पं समर्पयामि स्वाहा 3. वस्त्रं समर्पयामि स्वाहा 4. फलं समर्पयामि स्वाहा 5. धूपमाघ्रापयामि स्वाहा - धूप दिखायें। 6. दीपं दर्शयामि स्वाहा - दीपक दिखायें।
फिर निम्न मंत्रों से वायु देव की अष्ट प्रकारी पूजा करें1. चन्दनं समर्पयामि स्वाहा - कस्तुरी से पूजा करें। - चंपक के पुष्प चढ़ायें। - नीला वस्त्र चढ़ायें। - नारंगी एवं केला चढ़ायें ।
7. नैवेद्यं समर्पयामि स्वाहा - मूँग की दाल का लड्डू चढ़ायें।
8. अक्षतं ताम्बूलं द्रव्यं सर्वोपचारान् समर्पयामि स्वाहा -पान, अक्षत, सुपारी और पैसा आदि चढ़ायें।
फिर केरबा की माला से 108 बार मंत्र का जाप करें।
ॐ वायवे नमः
फिर निम्न मंत्र कहते हुए तीन बार वायु देव को अर्घ्य देंॐ क्लीँ हो वायु संवोषट् (स्वाहा ) ।
फिर दोनों हाथ जोड़कर प्रार्थना करें।