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308... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन
7. नैवेद्यं समर्पयामि स्वाहा - उड़द 8. अक्षतं ताम्बूलं द्रव्यं सर्वोपचारान्
लड्डू चढ़ायें। समर्पयामि स्वाहा - पान, अक्षत, सुपारी और पैसा आदि चढ़ायें।
फिर अकलबेर अथवा काले वर्ण की माला से 108 बार निम्न जाप करें। ॐ यमायै नमः
फिर तीन बार निम्न मंत्र कहते हुए यम देव को तीन बार अर्घ्य दें। ॐ क्षू हूँ हाँ क्षः यम संवौषट् स्वाहा ।
फिर दोनों हाथ जोड़कर प्रार्थना करें ।
दक्षिणस्यां दिशि स्वामी, यमो महिषवाहनः । संघस्य शान्तये सोऽस्तु, बलि पूजां प्रतीच्छतु ।।
4. नैर्ऋत पूजा
सर्वप्रथम नैर्ऋत दिशा के अधिपति नैर्ऋत देव को अक्षत एवं सुगन्धित पुष्प चढ़ाते हुए बधायें।
ॐ ग्लौं नैर्ऋत संवौषट् (स्वाहा ) तत्पश्चात कस्तुरी से नैर्ऋत देव का आलेखन करें। फिर निम्न मंत्र से नैर्ऋत देव का आह्वान करें
ॐ नमो नैर्ऋताय खड्गहस्ताय शिववाहनाय सपरिजनाय जिनबिम्ब प्रतिष्ठा महोत्सवे आगच्छ-आगच्छ स्वाहा । फिर निम्न मंत्र से नैर्ऋत देव की स्थापना करें
अत्र तिष्ठ तिष्ठ स्वाहा
फिर निम्न मंत्रों से नैर्ऋत देव की अष्ट प्रकारी पूजा करेंकरें।
1. चन्दनं समर्पयामि स्वाहा - चंदन से पूजा
- मालती एवं बोलसरी के पुष्प चढ़ायें। - वस्त्र चढ़ायें।
2. पुष्पं समर्पयामि स्वाहा 3. वस्त्रं समर्पयामि स्वाहा
4. फलं समर्पयामि स्वाहा - अनार, सीताफल चढ़ायें । 5. धूपमाघ्रापयामि स्वाहा - धूप दिखायें।
6. दीपं दर्शयामि स्वाहा - दीपक दिखायें।
7. नैवेद्यं समर्पयामि स्वाहा - काले तिल का लड्डू चढ़ायें।
8. अक्षतं ताम्बूलं द्रव्यं सर्वोपचारान् समर्पयामि स्वाहा - पान, अक्षत,
सुपारी और पैसा आदि चढ़ायें।