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प्रतिष्ठा उपयोगी विधियों का प्रचलित स्वरूप ...301 फिर निम्न मंत्र से शुक्र की स्थापना करें।
'अत्र तिष्ठ तिष्ठ स्वाहा' फिर निम्न मंत्र से शुक्र ग्रह की अष्टप्रकारी पूजा करें। 1. ॐ नमः शुक्राय सवाहनाय सपरिकराय सायुधाय चन्दनं समर्पयामि
स्वाहा -चन्दन से पूजा करें। 2. पुष्पं समर्पयामि स्वाहा -मोगरा के पुष्प चढ़ायें। 3. वस्त्रं समर्पयामि -श्वेत वस्त्र चढ़ायें। 4. फलं समर्पयामि स्वाहा -बीजोरा का फल चढ़ायें। 5. धूपमाघ्रापयामि स्वाहा -धूप दिखायें। 6. दीपं दर्शयामि स्वाहा -दीपक दिखायें। 7. नैवेद्य समर्पयामि स्वाहा -मुरमुरे का लड्ड चढ़ायें। 8. अक्षतं ताम्बूलं द्रव्यं सर्वोपचारान् समर्पयामि स्वाहा -पान, अक्षत,
सुपारी, पैसे आदि चढ़ायें। फिर स्फटिक अथवा चाँदी की माला से 108 बार निम्न मंत्र का जाप करें।
ॐ शक्राय नमः फिर निम्न मंत्र को तीन बार कहते हुए तीन बार शुक्र ग्रह को अर्घ्य दें।
ॐ यः अमृताय अमृतवर्षणाय दैत्यगुरवे नमः स्वाहा। फिर अन्त में दोनों हाथ जोड़कर प्रार्थना करें
ॐ पुष्पदन्तजिनेन्द्रस्य, नाम्ना दैत्यगणार्चित ।
प्रसन्नो भव शान्तिं च, रक्षां कुरू जयश्रियम् ।। 7. शनि पूजन ___ सर्वप्रथम निम्न मंत्र बोलकर अक्षत एवं सुगन्धित पुष्प से शनि ग्रह को बधायें।
ॐ शनैश्चराय औं कों ह्रीं क्रौंडाय नमः स्वाहा। उसके बाद अगर चुवो एवं कस्तूरी से शनि का आलेखन करें। फिर निम्न मंत्र से शनि का आह्वान करें।
ॐ नमः शनैश्चराय सवाहनाय सपरिकराय सायुधाय ___अमुकगृहे वृद्धस्नात्रमहोत्सवे आगच्छ-आगच्छ स्वाहा। फिर निम्न मंत्र से शनि की स्थापना करें।