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300... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन
'अत्र तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा' फिर निम्न मंत्र से गुरु ग्रह की अष्ट प्रकारी पूजा करें। 1. ॐ नमः बृहस्पतये सवाहनाय सपरिकराय सायुधाय चन्दनं
समर्पयामि स्वाहा -वासचूर्ण से पूजा करें। 2. पुष्पं समर्पयामि स्वाहा -चंपा के पुष्प चढ़ायें। 3. वस्त्रं समर्पयामि स्वाहा -पीला वस्त्र चढ़ायें। 4. फलं समर्पयामि स्वाहा -पीली मौसंबी चढ़ायें। 5. धूपं समर्पयामि स्वाह -धूप दिखायें। 6. दीपं समर्पयामि स्वाह -दीपक दिखायें। 7. नैवेद्यं समर्पयामि स्वाहा -चने की दाल का लड्डू चढ़ायें। 8. अक्षतं ताम्बूलं द्रव्यं सर्वोपचारान् समर्पयामि स्वाहा -पान, अक्षत,
सुपारी, पैसे आदि चढ़ायें। फिर स्वर्ण अथवा केरबे की माला से 108 बार निम्न मंत्र का जाप करें।
___ॐ बृहस्पतयाय नमः फिर निम्न मंत्र को तीन बार कहते हुए तीन बार गुरु ग्रह को अर्घ्य दें
ॐ माँ श्रीं बृहस्पतये सुरपूज्याय नमः स्वाहा। फिर अन्त में दोनों हाथ जोड़कर प्रार्थना करें
ऋषभाजितसुपाश्र्वा-श्चाभिनन्दनशीतलौ । सुमतिः संभवः स्वामी, श्रेयांसश्च जिनोत्तमा ।। एतत्तीर्थकृतां नाम्ना, पूजया च शुभो भव ।
शान्तिं तुष्टि च पुष्टिं च, कुरू देवगणार्चित ।। 6. शुक्र पूजन
सर्वप्रथम निम्न मंत्र बोलकर अक्षत एवं सुगन्धित पुष्प से शुक्र ग्रह को बधायें।
ॐ यः अमृताय अमृत वर्षणाय दैत्य गुरवे नमः स्वाहा उसके बाद चंदन से शुक्र का आलेखन करें। फिर निम्न मंत्र से शुक्र का आह्वान करें।
ॐ नमः शुक्राय सवाहनाय सपरिकराय सायुधाय अमुकग्रहे वृद्धस्नात्रमहोत्सवे आगच्छ-आगच्छ स्वाहा