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302... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन
___'अत्र तिष्ठ तिष्ठ स्वाहा' फिर निम्न मंत्र से शनि ग्रह की अष्ट प्रकारी पूजा करें। 1. ॐ नमः शनैश्चराय सवाहनाय सपरिकराय सायुधाय चन्दनं
समर्पयामि स्वाहा -कंकु से पूजा करें। 2. पुष्पं समर्पयामि स्वाहा -मचकुंद के पुष्प चढ़ायें। 3. वस्त्रं समर्पयामि स्वाहा -नीला रेशमी वस्त्र चढ़ायें। 4. फलं समर्पयामि स्वाहा -खारक चढ़ायें। 5. धूपमाघ्रापयामि स्वाहा -धूप दिखायें। 6. दीपं दर्शयामि स्वाहा -दीपक दिखायें। 7. नैवेद्यं समर्पयामि स्वाहा -उड़द की दाल के लड्डू अथवा तिल के लड्डू
चढ़ायें। 8. अक्षतं ताम्बूलं द्रव्यं सर्वोपचारान् समर्पयामि स्वाहा। -पान, अक्षत,
सुपारी, पैसे आदि चढ़ायें। फिर अकलबेर की माला से 108 बार निम्न मंत्र का जाप करें।
ॐ शनैश्चराय नमः फिर निम्न मंत्र को तीन बार कहते हुए तीन बार शनि ग्रह को अर्घ्य दें।
ॐ शनैचराय औं क्रों क्रोडाय नमः स्वाहा फिर अन्त में दोनों हाथ जोड़कर प्रार्थना करें
श्री सुव्रतजिनेन्द्रस्य, नाम्ना सूर्यांगसंभव ।
प्रसन्नो भव शान्ति च, रक्षां कुरु जयश्रियम् ।। 8. राहु पूजन ____ सर्वप्रथम निम्न मंत्र बोलकर अक्षत एवं सुगन्धित पुष्प से राहु ग्रह को बधायें।
ॐ हीं ठाँ श्री व्रः वः वःपिंगलनेत्राय कृष्णरूपाय राहवे नमः स्वाहा। उसके बाद कस्तूरी से राहु का आलेखन करें। फिर निम्न मंत्र से राहु का आह्वान करें। ____ॐ नमो राहवे सवाहनाय सपरिकराय सायुधाय अमुक गृहे
वृद्धस्नात्र महोत्सवे आगच्छ-आगच्छ स्वाहा। फिर निम्न मंत्र से राहु की स्थापना करें।