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प्रतिष्ठा उपयोगी विधियों का प्रचलित स्वरूप ...281 ॐ नमोऽर्हत् परमेश्वराय, अष्ट प्रातिहार्य विभूषिताय, चतुर्मुखाय,परमेष्ठिने त्रैलोक्यगताय, अष्टदिक् कुमारी परिपूजिताय, देवेन्द्र महिताय, दिव्यशरीराय, त्रैलोक्यमहिताय, देवाधिदेवाय, श्री सीमन्धर स्वामी-प्रमुखाऽधिकृत-जिनेन्द्राय, अस्मिन् जंबूद्वीपे, भरतक्षेत्रे, दक्षिणार्ध भरते, मध्य खंडे, सार्धपञ्चविंशति-आर्यदेशमध्ये, श्री सुराष्ट्र देशे, श्री भारत वर्षे, श्री अमुक राज्ये, श्री अमुक प्रान्ते, श्री अमुक नगरे, श्री अमुक उपनगरे, श्री अमुक जिन प्रासादे, श्री अमुक जिन मण्डपे, श्री अमुक जिन सान्निध्ये, श्री संघ गृहे, श्री अमुक श्रेष्ठिवर्य परिवारेण आयोजिते, श्री शिला सम्पुट स्थापन विधि महोत्सवे आगच्छ-आगच्छ स्वाहा। तिष्ठ तिष्ठ स्वाहा। फिर थाली बजवाएँ।
• फिर पूर्ववत ग्यारह स्तुतियों पूर्वक देववन्दन (चैत्यवन्दन) करें। वहाँ प्रतिष्ठा देवता के निमित्त कायोत्सर्ग के पश्चात निम्न स्तुति बोलें
यदधिष्ठिताः प्रतिष्ठाः सर्वाः, सर्वस्पदेषु नन्दन्ति ।
जैनं कूर्मं सा विशतु, देवता सुप्रतिष्ठमिदम् ।। • तत्पश्चात अंजलि में अक्षत भरकर निम्न मंगल गाथाएँ बोलें
उसके बाद अक्षतांजलि को उछालते हुए कूर्म को बधायें। स्नात्रकार अक्षतांजलि के उपरान्त पुष्पांजलि भी डालें। तदनन्तर कूर्म के ऊपर वस्त्र का आच्छादन कर एवं उसके चारों ओर ईंटे चुणकर ऊपर में पत्थर के पाटिया से ढक दें, ताकि कूर्म के ऊपर शिला संपुटों का दबाव न आयें।
॥ इति खनन-कूर्म प्रतिष्ठा विधि ।। शिलान्यास विधि ... प्रासाद निर्माण में खनन मुहूर्त के पश्चात शिलान्यास का उपक्रम किया जाता है। शिलाएँ मंदिर, गृह, मंडप आदि वास्तु के लिए पाया रूप गिनी जाती हैं इसलिए शिलाओं की विधि पूर्वक स्थापना करने से गृह एवं गृह स्वामी दीर्घायुषी होते हैं।
कल्याण कलिका के अनुसार शिलास्थापना निम्न प्रकार करें 3
वेदी निर्माण- सर्वप्रथम प्रासाद भूमि के ईशान अथवा नैर्ऋत्य कोण में वास्तुमान के अनुरूप शिलाएँ जितनी मोटी हो उसके अनुसार एक अभिषेक वेदी बनाएँ। फिर उसके ऊपर शिलाओं-उपशिलाओं एवं कलशों का अभिषेक करें।