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________________ प्रतिष्ठा उपयोगी विधियों का प्रचलित स्वरूप ...275 अध्याय-6 के अनुसार वर्ण, गन्ध, रस आदि के द्वारा भूमि की परीक्षा करने के पश्चात उसे विधि पूर्वक अपने अधिकार में लें। प्रासाद भूमि को शुभ मुहूर्त और शुभ लग्न में अधिकृत करें और उसी मुहूर्त में उस भूमि का खात मुहूर्त करना चाहिए। कल्याण कलिका के अनुसार खनन विधि इस प्रकार है___ • सर्वप्रथम मंदिर निर्माता अथवा सूत्रधार (शिल्पी) स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें। फिर वासचूर्ण मिश्रित चावल, पुष्पादि पूजा सामग्री लेकर उस परीक्षित भूमि पर जायें। • तदनन्तर वहाँ विधि पूर्वक स्नात्र पूजा करें, अष्ट प्रकारी पूजा करें तथा नवग्रह-दिक्पाल और अष्ट मंगल का आलेखन कर उनकी संक्षिप्त पूजा करें। फिर शांति की उद्घोषणा करें और आरती-मंगल दीपक करें। . इस क्रिया के अन्तराल में शिल्पी, कारीगर आदि स्नान पूर्वक शुद्ध वस्त्र पहनकर तैयार हो जायें। श्रावक उनका तिलक करें। उसके पश्चात मजदूर वर्ग आदि फावड़ा, कोश (गेंती), तगारी, गज, बाल्टी आदि को शुद्ध करके उनका तिलक करते हुए सत्कार करें तथा कंकण डोरा बांधकर तैयार कर दें। • चल बिम्ब की स्नात्र पूजा होने के पश्चात विधिकारक उस वास्तु भूमि के मध्य भाग में पंचरत्न आदि से युक्त कुंभ स्थापित करें। फिर क्रमशः पूर्वादि दिशाओं की तरफ मुख करके निम्न मंत्र बोलते हुए प्रत्येक लोकपाल को अर्घ दें। __ 1. ॐ इन्द्राय आगच्छ-2 'अर्घ प्रतीच्छ-2 स्वाहा। 2. ॐ अग्नये आगच्छ-2 अघु प्रतीच्छ-2 स्वाहा। 3. ॐ यमाय आगच्छ-2 अर्घ प्रतीच्छ-2 स्वाहा। 4. ॐ निऋतये आगच्छ-2 अर्घ प्रतीच्छ-2 स्वाहा। ॐ वरुणाय आगच्छ-2 अर्घ प्रतीच्छ-2 स्वाहा। 6. ॐ वायवे आगच्छ-2 अर्घ प्रतीच्छ-2 स्वाहा। 7. ॐ कुबेराय आगच्छ-2 अर्घ प्रतीच्छ-2 स्वाहा। 8. ॐ ईशानाय आगच्छ-2 अर्घ प्रतीच्छ-2 स्वाहा। 9. ॐ नागाय आगच्छ-2 अर्घ प्रतीच्छ-2 स्वाहा। 10. ॐ ब्रह्मणे आगच्छ-2 अर्घ प्रतीच्छ-2 स्वाहा। • उसके पश्चात निम्न श्लोक बोलते हुए पूर्वादि चारों दिशाओं में पीली सरसों को उछालकर भूत-प्रेत आदि की शक्ति को दूर करें।
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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