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________________ पंच कल्याणकों का प्रासंगिक अन्वेषण ...249 इस स्वप्न का चढ़ावा लेने से अशुभ का निवारण एवं कल्याण रूपी आत्म धर्म की प्राप्ति होती है। 10. पद्म सरोवर- तीर्थङ्कर की माता के द्वारा दसवाँ स्वप्न कमल दल से युक्त स्वच्छ एवं निर्मल सरोवर देखा जाता है जो यह सूचित करता है कि तीर्थङ्कर की गर्भस्थ आत्मा भी प्राणी जगत की ज्ञान तृष्णा का हरण करने वाली है। जैसे पद्मसरोवर सुगंधित एवं चित्ताकर्षक होता है वैसे ही तीर्थङ्कर आत्मगुणों से सकल विश्व को स्वरूप की प्रतीति कराने वाले एवं उनके चैतन्य मन को सद्धर्म के प्रति मोहित करने वाले होते हैं। . इस स्वप्न का चढ़ावा लेते समय स्वाभाविक गुणों को अनावृत्त कर सकूँ ऐसी भावना करनी चाहिए। इसके चढ़ावे से जीवन के बाह्य एवं आभ्यन्तर दोनों प्रकार के गुण विकसित होते हैं। इसी के साथ जिस प्रकार जलाशय संवेदनशील होता है वैसे ही करुणार्द्र दृष्टि अन्य जीवों के प्रति उत्पन्न होती है। ____11. रत्नाकर- सागर गंभीरता का सूचक है और स्वयं में अनेक अमूल्य निधियों को समाहित करता है उसी प्रकार परमात्मा भी समुद्र की भाँति गुण रत्नों के भंडार, जितेन्द्रिय एवं आत्म निधियों से समन्वित हैं। इस स्वप्न का चढ़ावा लेने पर गंभीरता आदि सद्गुणों की प्राप्ति होती है और यह स्वप्न समुद्र जनित गुणों का स्मरण करते हुए उन्हें प्राप्त करने के उद्देश्य से ही ग्रहण करना चाहिए। ___ 12. देव विमान- देव विमान तीर्थङ्करों के देव गति से आने का, देवताओं के द्वारा उनकी सेवा में तत्पर रहने का और देव विमान से भी सुंदर समवसरण की रचना का प्रतीक है। इस स्वप्न का चढ़ावा लेने पर अथवा इसके प्रति बहुमान रखने पर उत्तम मनुष्य भव की प्राप्ति होती है। इससे परमात्मा के साक्षात समवसरण के दर्शन का लाभ भी प्राप्त हो सकता है। ____13. रत्न राशि- माता के द्वारा देखा जाता तेरहवाँ स्वप्न गर्भस्थ बालक के सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान एवं सम्यकचारित्र ऐसे रत्नत्रय से युक्त होने का और समस्त जीव राशि के प्रति मैत्री आदि भाव रखने का सूचक है। इस स्वप्न की बोली लेने वाला परिवार अथाह सुख-समृद्धियों एवं अनन्त ज्ञानादि गुणों से युक्त होता है। इसका चढ़ावा लेते समय परिवार, समाज और देश के सभी अभीष्ट पूर्ण हो, ऐसी भावना करनी चाहिए।
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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