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200... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन लगे, दीवारों में छिद्र हो जाये, दरार पड़ जाये, शिखर एवं छत पर काई या वनस्पति उगने लगे तो शीघ्र ही जीर्णोद्धार एवं सफेदी करवानी चाहिए, वरना समाज के लिए पीड़ाकारक होता है।42 मन्दिर में अशुद्धि हो जाये ___ यदि जिनमन्दिर में हड्डी-मांस-चर्बी आदि गिर जाये, सूअर आदि जानवर प्रवेश कर जाये, चाण्डाल आदि अस्पृश्य मनुष्य का प्रवेश हो जाये, बच्चे मल मूत्र आदि कर दें या महिलाएँ असमय में ही अन्तराय में हो जाये तो पूरा मन्दिर धुलवाकर सफेदी करवाना चाहिए। तत्पश्चात विधि पूर्वक अभिषेक, शान्तिधारा विधान, जप एवं हवन आदि अनुष्ठान पूर्वक शुद्धि करके ध्वजारोहण करवाना चाहिए।43 जिन प्रतिमा जमीन पर गिर जाये
___ अभिषेक, प्रक्षाल, पूजन आदि करते समय अथवा विमानोत्सव आदि में प्रतिमा ले जाते समय अथवा अन्य कारण से प्रतिमा नीचे गिर पड़े (खण्डित न हई हो) तो उस प्रतिमा का 108 कलशों से अभिषेक, शान्तिधारा एवं णमोकार का 108 बार जप करके पुनः यथास्थान विराजमान करनी चाहिए और गुरु से प्रायश्चित्त लेना चाहिए। प्रतिमा खण्डित होने पर ___अभिषेक, प्रक्षाल या पूजन करते समय प्रतिमाजी हाथ से गिर जाये या अन्य कारण से अंग, उपांग और प्रत्यंग खण्डित हो जाए तो उन्हीं भगवान की अन्य प्रतिमा का 1008 कलशों से अभिषेक, शान्तिधारा एवं शान्ति मंत्र का आराधन करना चाहिए तथा खण्डित प्रतिमा को विधिपूर्वक अगाध जल राशि में विसर्जित कर गुरु से प्रायश्चित्त लेना चाहिए।45 मन्दिरजी में स्थापित प्रतिमा खण्डित हो जाए तो तत्काल जल में विसर्जित करके एकासना, उपवास एवं रसत्याग का प्रायश्चित्त करते हुए शुभ मुहूर्त में उन्हीं तीर्थंकर की नूतन प्रतिमा प्रतिष्ठित करना चाहिए, अन्य तीर्थंकर की नहीं।46 खण्डित प्रतिमा त्याज्य क्यों?
खण्डित, जली हुई, तड़की हुई तथा फटी हुई प्रतिमा पर मंत्रों का प्रभाव नहीं पड़ता वह अप्रतिष्ठित हो जाती है और उसमें देव शक्ति भी नहीं रहती।47