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जिन प्रतिमा- प्रकरण 199
प्लास्टिक, एक्रिलिक, नायलोन आदि की प्रतिमा में नाइट लैम्प लगाकर उनका सजावट के रूप में उपयोग किया जा रहा है। प्लास्टर ऑफ पेरिस की भी मूर्तियाँ सामान्यतः देखने में आती हैं। टाइल्स में भी प्रतिमाएँ या भगवान के फोटो लगाये जा रहे हैं, किन्तु इस तरह की प्रतिमाएँ पूजा के लिए उपयुक्त नहीं है।
धातु की प्रतिमा ठोस होना आवश्यक है। उसमें किंचित भी पोलापन नहीं होना चाहिए, अन्यथा भीषण संकटों का सामना करना पड़ सकता है। पोली मूर्तियों की पूजा करना उचित नहीं है, जबकि एक्रिलिक, प्लास्टिक आदि की मूर्तियाँ सामान्यतः पोली ही बनती है। यदि सुवर्ण, चाँदी या पीतल की मूर्तियाँ भी पोली हो तो न उनकी पूजा करनी चाहिए और न ही प्राण प्रतिष्ठा करवानी चाहिए। प्लास्टिक अथवा कृत्रिम रसायनों से निर्मित ठोस प्रतिमा भी पूज्य नहीं है। केवल शुद्ध धातु, काष्ठ अथवा पाषाण की शास्त्रोक्त प्रतिमाएँ ही पूजाप्रतिष्ठा के योग्य हैं।
जिन मंदिर की गिरती छाया का शुभाशुभ फल
वास्तुसार प्रकरण के अनुसार दिन के दूसरे और तीसरे प्रहर में मंदिर के शिखर एवं ध्वजा की छाया गृहस्थ के मकान पर पड़ती हो तो वह उसके लिए दुखकारक मानी गई है अतः गृहस्थ को मन्दिर के निकट घर बनवाते समय इस निर्देश का ध्यान रखना चाहिए 39
प्रस्तुत प्रकरण में यह भी कहा गया है कि गृहस्थ का घर मन्दिर के निकट हो तो दु:खकारक, चौराहे पर हो तो हानिकारक तथा धूर्त एवं मन्त्री गृह के समीप हो तो पुत्र और धन का विनाश होता है। 40
शिल्प रत्नाकर में गृह वास्तु की अपेक्षा यह निर्देश भी दिया गया है कि गृह की पूर्व दिशा में बड़, दक्षिण दिशा में उम्बर, पश्चिम दिशा में पीपल और उत्तर दिशा में भी पीपल का वृक्ष होना अशुभ नहीं है। 41
क्या करें यदि ?
जिनालय जीर्ण अवस्था में हो जाये
चूना
जिन मन्दिर का शिखर, दीवार, छत एवं फर्श आदि क्षरण होने लगे, या सीमेन्ट गिरकर गड्ढे हो जाये, जाले आदि लग गये हों, कूड़ा इकट्ठा होने