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जिन प्रतिमा-प्रकरण ...197 • प्रतिमा गाढ़ दृष्टि वाली हो तो अशुभकारक होती है। • प्रतिमा अधो दृष्टि वाली हो तो विघ्नकारक और पुत्र का नाश करती है। • प्रतिमा ऊँची दृष्टि वाली हो तो भार्या का नाश होता है। • प्रतिमा नेत्र रहित हो तो नेत्र का नाश करती है। • प्रतिमा बड़े उदर वाली हो तो उदर रोग उत्पन्न करती है।
• प्रतिमा का हृदय कम या अधिक परिमाण वाला हो तो हृदय रोग पैदा करती है।
• प्रतिमा हीन स्कंध वाली हो तो पुत्रनाश कारक मानी गई है।34
आचार्य जयसेन के अनुसार जो प्रतिमा 1. रौद्र 2. कृशांग 3. संक्षिप्तांग 4. चिपटि नासिका 5. विरूपक नेत्र 6. हीनमुख 7. महोदर 8. महाहृदय 9. महाअंस 10. महाकटी 11. महपाद 12. हीन जंघा- इन बारह दोषों से रहित हो वह प्रतिमा पूजा करने योग्य होती है किन्तु न्यूनाधिक अंग वाली प्रतिमा की पूजा करने से धन आदि का नाश होता है।35 खण्डित प्रतिमा का फल
शिल्प शास्त्रियों के निर्देशानुसार जिनबिम्ब का कोई भी अंग खण्डित हो तो निम्न दुष्फल प्राप्त होते हैं1. प्रतिमा के नख खण्डित हो तो शत्रु भय कारक होती है। 2. प्रतिमा की अंगुली खण्डित हो तो देश विनाश कारक होती है। 3. प्रतिमा की भुजाएँ खण्डित हो तो बन्धन कारक होती है। 4. प्रतिमा की नासिका खण्डित हो तो कल नाशक होती है। 5. प्रतिमा के चरण खण्डित हो तो धन का नाश करती है। 6. प्रतिमा का पाद पीठ खण्डित हो तो स्वजनों के नाश का कारण बनती है। 7. प्रतिमा का चिह्न खण्डित हो तो वाहन नाश कारक होती है। 8. प्रतिमा का परिकर खण्डित हो तो सेवक का नाश करती है। 9. प्रतिमा का छत्र खण्डित हो तो लक्ष्मी नाश में कारण बनती है। 10. प्रतिमा का श्रीवत्स खण्डित हो तो सुख का नाश होता है। 11. प्रतिमा के कर्ण युगल खण्डित हो तो बंधु का नाश होता है।36 विभिन्न द्रव्यों की प्रतिमा निर्माण का शुभाशुभ फल
वराहमिहिर कृत बृहत्संहिता के अनुसार