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मन्दिर निर्माण का मुहूर्त विचार ...81 विद्वज्ञों के मतानुसार रेवती, श्रवण, हस्त, पुष्य, अश्विनी, पुनर्वसु, ज्येष्ठा, अनुराधा, धनिष्ठा एवं मृगशिरा- ये नक्षत्र शिला लाने हेतु जाने के लिए शुभ हैं। इस कार्य के लिए सोम, बुध, गुरु, शुक्रवार तथा विषम संख्या वाली तिथियाँ उत्तम हैं। प्रतिष्ठा मुहूर्त __ शास्त्रीय विधिपूर्वक अरिहंत परमात्मा के प्रतिबिम्ब को जिनालय में स्थापित करना प्रतिष्ठा कहलाता है। यह अनुष्ठान शुभ काल में करना चाहिए।
उदयप्रभदेवसूरि विरचित आरम्भ सिद्धि19, आचार्य हरिभद्रसूरि रचित लग्न शुद्धि,20 रत्नशेखरसूरिकृत दिन शुद्धि,21 आचार्य जयसेन प्रतिष्ठापाठ,22 आचार दिनकर23, भारतीय ज्योतिष वगैरह में जिनबिम्ब स्थापना का मुहूर्त विस्तार से प्रतिपादित किया गया है। यहाँ सुगम बोध के लिए यह मुहूर्त संक्षेप में बताया जा रहा है।
तिथि- जिनबिम्ब की प्रतिष्ठा के लिए द्वितीया, तृतीया, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी और पूर्णिमा- ये तिथियाँ शुभ कही गई हैं।
रिक्ता तिथि (4,9,14) के दिन योग शुद्धि हो तो वह प्रतिष्ठा के लिए ग्राह्य है।
चौबीस तीर्थंकरों के जिन तिथियों में जो कल्याणक हुए उन तिथि दिनों में वह कल्याणक विधि कर सकते हैं।
वार- प्रतिष्ठा हेतु मंगल, रवि और शनि- इन तीन को छोड़कर शेष चार वार शुभ हैं।
नक्षत्र- प्रतिष्ठा विधि के लिए मूल, पुनर्वसु, स्वाति, अनुराधा, हस्त, श्रवण, रेवती, रोहिणी और तीनों उत्तरा नक्षत्र श्रेष्ठ कहे गये हैं। धनिष्ठा, पुष्य और मघा नक्षत्र भी प्रतिष्ठा हेतु सौम्य हैं।
वर्जित नक्षत्र प्रतिष्ठाकर्ता के जन्म नक्षत्र से 1,10,16,18,23,25वाँ नक्षत्र आता हो तो उस दिन प्रतिष्ठा नहीं करें। तीर्थंकर परमात्मा के जन्म नक्षत्र में तथा मघा, विशाखा, ज्येष्ठा, धनिष्ठा और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में प्रतिष्ठा नहीं करें।
दूसरे ग्रहों से ग्रसित ग्रह, उदित एवं अस्त ग्रह, क्रूर एवं अग्र आक्रान्त नक्षत्रों में प्रतिष्ठा न करें।