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80... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन
रेवती, चित्रा, अनुराधा, हस्त, पुष्य, धनिष्ठा, शतभिषा, स्वाति और तीनों उत्तरा नक्षत्र, तिथि- 2,3,5,7,11, 13, वार- रवि, सोम, बुध, गुरु, शुक्र श्रेष्ठ माने गये हैं। मण्डप निर्माण मुहूर्त्त
प्रतिष्ठा के दौरान पंच कल्याणक महोत्सव, अंजनशलाका विधान आदि के लिए प्रायः पृथक से मण्डप बनाए जाते हैं। इन मण्डपों का निर्माण भी शुभ दिनों में करना चाहिए ।
भारतीय ज्योतिष के अनुसार मण्डप निर्माण हेतु नक्षत्र - मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, अनुराधा, श्रवण, तीनों उत्तरा; तिथि - 2, 5, 7, 11, 12, 13; वार - सोम, बुध, गुरु, शुक्र उत्तम माने गये हैं।
किवाड़ स्थापना मुहूर्त्त
नक्शा के अनुसार मन्दिर बनकर तैयार हो जाये तब गर्भमंडप, रंगमंडप आदि द्वारों के किवाड़ भी शुभ दिन में लगाने चाहिए।
जैन ज्योतिष के अनुसार अनुराधा, हस्त, स्वाति, पुनर्वसु, ज्येष्ठा और अश्विनी शुभ माने गये हैं। 17 इन नक्षत्रों एवं उत्तम महीनों में किवाड़ लगान चाहिए।
जिनप्रतिमा निर्माण मुहूर्त
जिनबिम्ब का निर्माण कार्य श्रेष्ठ दिन में प्रारम्भ करना चाहिए । भारतीय ज्योतिष एवं आचार्य जयसेन प्रतिष्ठापाठ के अनुसार प्रतिमा घड़न हेतु निम्न नक्षत्र उत्तम हैं
शुभ तिथि - 2, 3, 5, 7, 11, 13 अथवा जिस तीर्थंकर की प्रतिमा बनवानी हो उनके गर्भकल्याणक की तिथि ।
शुभ वार- सोम, बुध, गुरु और शुक्र शुभ योग- गुरु, पुष्य, अथवा रवि हस्त योग।
शुभ नक्षत्र- तीनों उत्तरा, पुष्य, रोहिणी, श्रवण, चित्रा, धनिष्ठा, आर्द्रा | मतांतर से अश्विनी, हस्त, अभिजित, मृगशिरा, रेवती और अनुराधा भी शुभ नक्षत्र हैं। 18
शिला हेतु जाने का मुहूर्त
प्रतिमा निर्माण के लिए तद्योग्य शिला की जरूरत होती है। उस शिला को लाने हेतु शुभ काल में प्रस्थान करना चाहिए।