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मन्दिर निर्माण का मुहूर्त विचार ... 79
श्रेष्ठ कहे
शुभ माना गया है। 16 महीनों में वैशाख, श्रावण, मिगसर और फाल्गुन गये हैं।
तिथियों के लिए कूर्मन्यास चक्र देखना चाहिए। वह इस प्रकार है
तिथि
नक्षत्र
1. रोहिणी पुनर्वसु मघा हस्त विशाखा
2. मृगशिरा पुष्य पू. फा. चित्रा अनुराधा
3. कृतिका आर्द्रा आश्लेषा उ. फा. स्वाति 4. रोहिणी पुनर्वसु मघा हस्त विशाखा मूल श्रवण पू. मा. अश्विन 5. मृग. पुष्य पू. फा. चित्रा अनुराधा पू.षा. धनिष्ठा उ. भा. भरणी 6. कृत्तिका आर्द्रा आश्लेषा उ. फा. स्वाति ज्येष्ठा उषा. शतभिषा रेवती
7. रोहिणी पुनर्वसु मघा हस्त विशाखा 8. मृगशिरा पुष्य पू. फा. चित्रा अनुराधा 9. कृतिका आर्द्रा आश्लेषा उ. फा. स्वाति 10. रोहिणी पुनर्वसु मघा हस्त विशाखा मूल श्रवण पू. भा. अश्विना 11. मृगशिरा पुष्य पू. फा. चित्रा अनुराधा पू.षा. धनिष्ठा उ. भा. भरणी
12. कृतिका आर्द्रा आश्लेषा उ. फा. स्वाति 13. रोहिणी पुनर्वसु मघा हस्त, विशाखा 14. मृगशिरा पुष्य पू. फा. चित्रा अनुराधा 15. कृतिका आर्द्रा आश्लेषा उ. फा. स्वाति
मूल
श्रवण पू.भा. अश्विना
पू.षा. धनिष्ठा उ. भा. भरणी
ज्येष्ठा उषा. शतभिषा रेवती
मूल श्रवण पू.भा. अश्विना
पू.षा. धनिष्ठा उ. भा. भरणी ज्येष्ठा उषा. शतभिषा रेवती
ज्येष्ठा उषा. शतभिषा रेवती मूल श्रवण पू.भा. अश्विना पूषा. धनिष्ठा उ. भा. भरणी ज्येष्ठा उषा. शतभिषा रेवती
उपर्युक्त सारणी का आशय यह है कि अमुक तिथि के दिन उसके आगे निर्दिष्ट कोई भी नक्षत्र होने पर शिलास्थापना कर सकते हैं।
वेदी निर्माण मुहूर्त
अरिहंत परमात्मा की मूर्ति को जिस उच्च आसन पर प्रतिष्ठित किया जाता है उसे सामान्यतया वेदी कहते हैं। इस वेदी निर्माण के लिए रोहिणी, मृगशिरा,