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प्रतिष्ठा सम्बन्धी आवश्यक पक्षों का मूल्यपरक विश्लेषण ...45 भोजन, भाण्डागार, कोष्ठागार, पुस्तक, जप माला, वाहन, शस्त्र, कवच आदि गृह उपयोगी समस्त उपकरण, सभी तरह के वादिंत्र- इन सर्व वस्तुओं की स्थापना विधि पूर्वक की जाती है।
प्रस्तुत निरूपण आचार दिनकर के आधार पर किया गया है।13 वास्तु पूजा कब की जाए?
कूर्म, द्वार, पद्म शिला, प्रासाद पुरुष, कलश, ध्वजा और अरिहंत देवइन सात की प्रतिष्ठा करते समय वास्तु पूजन करना चाहिए, क्योंकि उक्त सात दिन पुण्य दिन कहलाते हैं।14 शान्ति पूजा कब की जानी चाहिए? ___ भूमि खनन, कूर्म शिला की स्थापना, शिलास्थापन सूत्रपात का समय, खुर शिला की स्थापना, धार प्रतिष्ठा, स्तंभ स्थापना का समय, पाद पद्म शिला, शुकनास, प्रासाद पुरुष, आमलसार, कलश और ध्वजा चढ़ाने के समय- इन चौदह शुभ कार्यों में शान्ति पूजा अवश्य करनी चाहिए।15 प्रतिष्ठा विधान में उपयोगी मुद्राएँ।
प्रतिष्ठा विधि में मुख्य रूप से 12 मुद्राओं का प्रयोग होता है। किस विधि हेतु कौन सी मुद्रा प्रयुक्त की जाए? इसका वर्णन विधिमार्गप्रपा के अनुसार निम्न प्रकार है16 -
• जिनमुद्रा से चार कलशों की स्थापना और उनका स्थिरीकरण करें। • आसन मुद्रा आदि से अधिवासन और मंत्रन्यास करें। • कलश मुद्रा से कलश का स्नान करें। • परमेष्ठी मुद्रा से आह्वान मन्त्रों का उच्चारण करें। • अंग मुद्रा से प्रतिमा, कलश आदि के अंग का विलेपन करें। • अंजलि मुद्रा से पुष्पादि का आरोपण करें।
आसन मुद्रा से नन्द्यावत्ते पट्ट का पूजन करें। • चक्र मुद्रा से जिनबिम्ब आदि के अंग का स्पर्श करें। • सुरभि मुद्रा के द्वारा समस्त विकारों से मुक्त होना चाहिए। • प्रवचन मुद्रा से आचार्य धर्मोपदेश दें। • गरुड़ मुद्रा के द्वारा दुष्ट शक्तियों से रक्षा करें।