________________
40... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन कलिका में प्रतिष्ठा सामग्री अत्यन्त सीमित है, परन्तु उससे परवर्ती पद्धतियों में अनुक्रम से सामग्री में बढ़ोत्तरी होती गई है और जब से प्रतिष्ठा विधियों में पंच कल्याणकों को उत्सव के रूप में मनाने की परिपाटी शुरू हुई है उस समय से सामग्री में अनेक गुणा वृद्धि हो गई है। ऐसी स्थिति में सामग्री सूची के अन्तर्गत क्या ग्रहण करें और क्या छोड़ें? एक विकट समस्या उत्पन्न हो जाती है। यहाँ वर्तमान प्रचलित सूची को उपदर्शित करेंगे क्योंकि लोक प्रवाह में उसी को अधिक मान्यता प्राप्त है और विधिकारक भी उसी के अनुसार प्रतिष्ठा आदि कृत्य सम्पन्न करते हैं।
13. व्यवस्थापक- अंजनशलाका-प्रतिष्ठा महोत्सव के कार्य जिन आज्ञा सापेक्ष और जिनशासन की अपूर्व प्रभावना पूर्वक अस्खलित गति से प्रवर्तित हों, ऐसा आयोजन करवाने की तलस्पर्शी समझ रखने वाले 18-20 सक्षम श्रावकों का एक व्यवस्थापक मण्डल तैयार करना चाहिए। उसमें भिन्न-भिन्न व्यक्तियों की योग्यता एवं रुचि के अनुसार समितियाँ बनानी चाहिए। इस प्रणाली से प्रतिष्ठा का आयोजन कर्ता अधिकांश जिम्मेदारियों से मुक्त होकर प्रतिष्ठा का पूर्ण आनन्द प्राप्त कर सकता है।
__ किस कार्य के लिए कितने व्यक्तियों की समिति होनी चाहिए। उसकी एक अनुमानित तालिका नीचे दी जा रही है। देश-काल और कार्य का विचार कर इस मंडल संख्या में परिवर्तन कर सकते हैं• भोजन प्रबन्ध समिति-8
. संघ स्वागत समिति-5 • जल प्रबन्ध समिति-2 • प्रतिष्ठा मण्डप समिति-2 • नगर सफाई समिति-2 • नगर श्रृंगार समिति-2 • छाया प्रबन्ध समिति-2 • यान वाहन समिति-2 • वरघोड़ा व्यवस्था समिति-4 . सुरक्षा प्रबन्ध समिति-2 • पूजा-स्नात्रकार प्रबन्ध समिति-4 . अतिथि सत्कार प्रबन्ध समिति-4 • मंगलघर प्रबन्ध समिति-2 • वैयावच्च प्रबन्ध समिति-4 • सामग्री प्रबन्ध समिति-4 प्रतिष्ठाचार्य की वेशभूषा
सामान्यतया प्रतिष्ठाचार्य साधु वेश में होते हैं, परन्तु प्रतिष्ठा के दिन उनकी वेश भूषा में थोड़ा-सा परिवर्तन होता है। निर्वाणकलिका में इस सम्बन्ध