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________________ प्रतिक्रमण आवश्यक का स्वरूप विश्लेषण ...9 आपको दोषों से दूर रखना, निषिद्ध आचरण की ओर प्रवृत्ति नहीं करना वारणा कहलाता है।25 बौद्ध धर्म में प्रतिक्रमण के समान की जाने वाली क्रिया को 'प्रवारणा' कहा गया है। इस सन्दर्भ में राजा और विष मिश्रित तालाब का उदाहरण है- एक राजा ने निकट के राज्य पर आक्रमण किया। उस पड़ोसी राजा ने सभी प्रकार के खाद्य पदार्थों और पानी के स्रोतों-तालाब, वापी, सरोवर आदि में विष मिला दिया। आक्रमणकारी राजा को यह ज्ञात हो गया। उसने अपने स्कंधावार में यह घोषणा करवाई कि यहाँ का सम्पूर्ण खाद्य और पेय विष मिश्रित है। कोई भी उसे खाएपीए नहीं। जिन सुभटों ने घोषणा के अनुसार बरताव किया, वे जीवित रह गए और जिन्होंने घोषणा की अवहेलना की, वे मृत्यु को प्राप्त हो गए। ___तात्पर्य है कि जो दोषों से दूर रहता है वह चारित्र की सम्यक् अनुपालना करता है। 5. निवृत्ति- निवृत्ति शब्द 'नि' उपसर्ग पूर्वक ‘वृत्' धातु एवं 'क्तिन्' प्रत्यय के संयोग से बना है। अशुभ भावों से निवृत्त होना निवृत्ति कहलाता है।26 प्रमादवश अशुभ कार्यों में प्रवृत्ति हो जाए तो अतिशीघ्र पुनः शुभ में प्रवृत्त हो जाना चाहिए। अशुभ से निवृत्त होने के लिए ही प्रतिक्रमण का पर्याय शब्द 'निवृत्ति' है। ___ इस प्रसंग में कौलिक सुता का उदाहरण दिया गया है- एक गच्छ में अनेक मुनि थे। एक तरूण मुनि बुद्धि सम्पन्न था। आचार्य उसे गणधारण के योग्य समझकर सदैव स्वाध्याय आदि उत्तम कार्यों में संलग्न रखते। एकदा वह आवेश के वशीभूत होकर गण से निकल गया। मार्ग में चलते हुए उसने गीत सुना तरितव्वा य पतिण्णया, मरितव्वं वा समरे समत्थएणं । __ असरिसवयणुप्फेसया, न हु सहितव्वा कुले पसूयएणं ।। इस पद्य पर मनन कर उसने सोचा- 'व्यक्ति को सत्य प्रतिज्ञ होना चाहिए, सामान्य व्यक्तियों का अपलाप सहने से युद्ध में मर जाना अच्छा है।' वह उत्प्रेरित होकर पुनः मुनि गण में आ गया। 6. निन्दा- स्वयं के द्वारा आत्मा की साक्षी से पूर्वकृत अशुभ आचरण को बुरा समझना तथा उसके लिए पश्चात्ताप करना, निन्दा कहलाता है। कहा भी गया है ‘आत्मसाक्षिकी निन्दा'- निन्दा आत्मसाक्षी पूर्वक होती है।27
SR No.006249
Book TitlePratikraman Ek Rahasyamai Yog Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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