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________________ प्रतिक्रमण आवश्यक का स्वरूप विश्लेषण ...7 पर्यायवाची बतलाये गये हैं।20 इन नामान्तरों का स्पष्ट बोध हो सके, अत: आवश्यक नियुक्ति, आवश्यकचूर्णि, आवश्यकटीका आदि प्रामाणिक ग्रन्थों में प्रत्येक के कथानक भी दिये गये हैं। तदनुसार सामान्य वर्णन इस प्रकार प्रस्तुत है21 ____ 1. प्रतिक्रमण- 'प्रति' उपसर्ग और ‘क्रम' पादनिक्षेपे धातु से यह शब्द व्युत्पन्न है। प्रति का अर्थ है- प्रतिकूल और क्रमु का तात्पर्य है- पद निक्षेप। जिन प्रवृत्तियों के द्वारा आत्मा सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र रूप स्वस्थान से हटकर मिथ्यात्व, अज्ञान और असंयम रूप परस्थान में गमन कर चुका हो, उसका पुनः अपने स्थान में लौट आना प्रतिक्रमण कहलाता है।22 इस सम्बन्ध में राजा और दो राहगीर का दृष्टान्त प्रसिद्ध है एक राजा अपने नगर के बाह्य भाग में प्रासाद का निर्माण कराना चाहता था। उसने शुभ मुहूर्त में कार्य प्रारम्भ किया। उस क्षेत्र के संरक्षण के लिए कुछ रक्षकों को नियुक्त किया और उन्हें कहा- जो इस मर्यादित क्षेत्र में प्रवेश कर ले, उसे मृत्यु के द्वार पर पहुँचा देना तथा जो उन्हीं पैरों से लौट जाए उसे मृत्युदंड मत देना। एक बार दो ग्रामीण व्यक्ति अज्ञानतावश उस क्षेत्र में आ पहुँचे। आरक्षकों ने उन्हें पकड़ लिया। उनमें से एक व्यक्ति ने उदंडता पूर्वक जवाब देते हुए कहा- भीतर आ गए तो क्या हो गया? रक्षकों ने उसे मार डाला। दूसरे ने विनम्रता पूर्वक कहा- आप जैसा. कहेंगे, वैसा कर लूंगा, मुझे मत मारो। रक्षकों ने आगे जाने से निषेध कर दिया। वह उन्हीं पैरों लौट आया। उसके प्रतिक्रमण ने उसे बचा लिया। आवश्यक रूप प्रतिक्रमण से भी आत्मा ऊर्ध्वगामी एवं संरक्षित बन जाती है। 2. प्रतिचरण- 'प्रति' उपसर्ग पूर्वक ‘चर' धातु से 'ल्युट्' प्रत्यय जुड़कर प्रतिचरण शब्द बना है। प्रति-प्रतिकूल, चर- गति और भक्षण अर्थ वाचक है। इसका तात्पर्य है कि अशुभ योग में से शुभ योग में गति करना या शुभयोग का आसेवन करना प्रतिचरण है।23 चूर्णिकार के शब्दों में अकार्य का परिहार और कार्य में प्रवृत्ति करना प्रतिचरण है। इस सन्दर्भ में वणिक पत्नी और प्रासाद की उपेक्षा का दृष्टान्त उल्लेखित है
SR No.006249
Book TitlePratikraman Ek Rahasyamai Yog Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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